वाराणसी। बाबा साहब डॉ अंबेडकर जैसे व्यक्तित्व कभी मरते नहीं हैं। वह हमेशा हमारे जहन में जिंदा रहते हैं और जब कभी भी हमें उनके मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है तब हमें उनकी याद आती है और हम समस्या का समाधान ढूंढ़ने में सफल हो जाते हैं।
यह बात गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी ने बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के 67वें महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर मंगलवार को कही। प्रो. त्यागी ने कहा कि डॉ. आंबेडकर समाज में किसी भी तरह के विभाजन के पक्षधर नहीं थे। बाबा साहब के द्वारा बताए गए समानता के मार्ग पर हम सबको चलना होगा। हमें जाति ,धर्म, क्षेत्र तथा अन्य सभी तरह के बंटवारे के खिलाफ लड़ना होगा। तभी हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे पाएंगे। कुलपति ने कहा कि हम कहीं ना कहीं पथभ्रष्ट तो जरूर हो रहे हैं हमारे समाज में जो भी अंतर दिखाई दे रहा है उसके लिए हमें आत्ममंथन करने की जरूरत है।
कुलपति ने कहा कि हमें महान लोगों के नाम को इस्तेमाल करके बंटवारा करने का कोई अधिकार नहीं है। बाबा साहब ने 75 साल पहले संविधान की जो परिकल्पना प्रस्तुत की थी, वह आज भी उससे ज्यादा प्राप्त प्रासंगिक है, क्योंकि जिस समय यह परिकल्पना की गई थी, उस समय भारत महज 25 करोड़ की आबादी वाला देश था और आज हमारे देश की जनसंख्या 130 करोड़ हो गई है। बाबासाहेब वह व्यक्तित्व थे, जिन्होंने समाज के लिए अपना जाति, धर्म शरीर, परिवार सब कुछ निछावर कर दिया था, क्योंकि उनके लिए मानवता सर्वोपरि थी। उनका सपना एक ऐसे भारत का निर्माण करना था, जिसमें समस्त देशवासी विभिन्न प्रकार के भेदभाव एवं सबकुछ संकुचित भावना से उठ कर एक समतामूलक, समावेशी समाज के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हो। ऐसे महान व्यक्तित्व को पूरा काशी विद्यापीठ परिवार बारंबार श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के समस्त अधिकारी कर्मचारी, अध्यापक तथा छात्र उपस्थित थे।
डॉ. आंबेडकर के आदर्शों पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि

विद्यापीठ में राष्ट्रीय सेवा योजना की ओर से केंद्रीय पुस्तकालय के समिति कक्ष हाल में आयोजित गोष्ठी में कुलपति प्रो. त्यागी ने बताया कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर एक ऐसे शख्स थे, जिनकी तुलना किसी अन्य से की ही नहीं जा सकती। बाबा साहब की भूमिका भारतीय संविधान में एक पिता की तरह हैं। वह हमेशा गरीबों, पिछड़ों, शोषितों व असहायों की भलाई और उत्थान के लिए लड़ते हुए जातिवाद को चुनौती देते रहे। समाज का उत्थान तभी संभव है जब हम सभी लोग बाबा साहब के पद चिन्हों पर चलें। छात्र कल्याण संकाय के संकायाध्यक्ष डॉ. केके सिंह ने कहा कि बाबा साहब ने गरीबों, पिछड़ों, निसहायों के हक के लिए संघर्ष किया। मुख्य वक्ता प्रो. वंदना सिन्हा ने बताया कि अंबेडकर ने सामाजिक छुआछूत और जातिवाद के खात्मे के लिए काफी संघर्ष किया। इस अवसर पर प्रो. योगेंद्र सिंह, प्रो. नलिनी श्याम कामिल, डॉ. कविता आर्य, डॉ. सुनील विश्वकर्मा, डॉ. प्रतिभा सिंह, डॉ. सतीश कुशवाहा, डॉ. धनंजय कुमार शर्मा, डॉ. हंसराज, डॉ. ध्यानेंद्र मिश्रा, प्रो. राजेश कुमार मिश्रा, डॉ. किरण सिंह, डॉ. अनुकूल चंद्र , प्रो. वंदना सिन्हा, प्रो. शेफाली वर्मा ठकराल, डॉ. दुर्गेश उपाध्याय, डॉ. चंद्रशेखर सिंह, प्रो. सुशील कुमार गौतम, डॉ. सुरेंद्र राम, प्रो. नलिन कामिल, डॉ. आलोक शुक्ला, प्रो. अमिता सिंह, चीफ प्रॉक्टर, डॉ. आयुष कुमार, डॉ. नवरत्न सिंह, डॉ अनीता, प्रो. बृजेश कुमार सिंह, प्रो. मोहम्मद आरिफ, अमिताभ सिंह, अभिषेक राय अनूप दुबे, छात्र संघ प्रतिनिधि अभिषेक सोनकर आदि उपस्थित रहे।
” संवैधानिक व्यवस्था के साथ सामाजिक आजादी जरूरी”

समाजशास्त्र विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. रेखा ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने सामाजिक न्याय की व्यवस्था के अंतर्गत महिला उत्थान से सम्बंधित विचारों मजबूती से रखे। अध्यक्षता कर रहे समाज विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. ब्रजेश कुमार सिंह ने डॉ. आम्बेडकर ने समावेशी संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई एवं शोषित समाज को प्रतिनिधित्व प्रदान करने का प्रभावी कार्य किया। मुख्य अतिथि प्रो. सुशील कुमार गौतम ने ने कहा कि डॉ. आम्बेडकर द्वारा निर्मित संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत इसे आत्मसात करके क्रियान्वित करने की आवश्यकता है। मुख्य वक्ता शिक्षा शास्त्र विभाग के डॉ. सुरेन्द्र राम ने डॉ. आम्बेडकर द्वारा निर्मित संवैधानिक व्यवस्था को समाज में प्रभावी मानते हुए सामाजिक समस्याओं के निराकरण में इसके आत्ममंथन की आवश्यकता पर बल दिया। डॉ. भारती रस्तोगी ने कार्यक्रम के धन्यवाद दिया। पूर्व विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो. मल्लिका चतुर्वेदी, डॉ. राहुल गुप्ता, डॉ. जयप्रकाश यादव, डॉ. अशोक कुमार श्रीवास्तव, डॉ.. सुरेंद्र कुमार, डॉ. मनीषा देवी, डॉ. संजय सोनकर, डॉ. चन्द्रशेखर, राजनाथ पाल, सतीश तिवारी नन्दलाल, धर्मेंद्र, रविदास, अमृता, पूजा सिंह, स्मृति, रजनी,