वाराणसी । भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय), वाराणसी ने सुरंग निर्माण और भूमिगत अंतरिक्ष इंजीनियरिंग के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के साथ एक समझौता-ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके दो केंद्र होंगे, पहला आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी में और दूसरा दिल्ली मेट्रो रेल अकादमी में होगा। एमओयू के तहत परिवहन और सीमा रक्षा बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी और दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) के बीच संबंधों को मजबूती देगा। भारत में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में वृद्धि देखने को मिल रही है। कुल 32 मेट्रो परियोजनाएं और 13 रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम पूर्ण/निर्माणाधीन हैं।
संस्थान के निदेशक आचार्य प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि समझौते से परिवहन और रक्षा के लिए सुरंग बनाने में तकनीकी नवाचार का प्रयोग देश के विकास में सहायक होगा । उन्होंने कहा कि इस केंद्र के तहत, संस्थान टनलिंग और भूमिगत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में स्नातक लघु/प्रमुख पाठ्यक्रमों के साथ-साथ स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों की पहल करेगा। डीएमआरसी फील्ड इंजीनियरों और निर्माण पर्यवेक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए अल्पकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम पेश करेगा।
डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक (एम.डी.) श्री विकास कुमार ने बताया कि करार के तहत टनलिंग और भूमिगत स्पेस इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हमारे अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और अत्याधुनिक अनुसंधान योगदान में सुधार होगा।
समझौता-ज्ञापन पर आईआईटी (बीएचयू) के अधिष्ठाता (अनुसंधान एवं विकास) आचार्य विकास कुमार दुबे और डीएमआरसी के निदेशक (कार्य) दलजीत सिंह ने हस्ताक्षर किए। समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर कार्यक्रम में सभी अधिष्ठाता (शैक्षणिक कार्य), अधिष्ठाता (छात्र कल्याण), अधिष्ठाता (संकाय कार्य), अधिष्ठाता (संसाधन एवं पूर्व छात्र), सिविल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक और संचार, खनन इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्षों ने भाग लिया और डीएमआरसी की ओर से निदेशक (कार्य), उप मुख्य अभियंता मौजूद थे।
मई 2015 में, केंद्र सरकार ने 50 शहरों के लिए मेट्रो परियोजनाओं को मंजूरी दी और 5 लाख करोड़ के निवेश की घोषणा की । जिसमें राज्य और केंद्र सरकार के आधी आधी संयुक्त रूप में भागीदारी होगी । 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की टनलिंग परियोजनाएं अगले 05 वर्षों में केवल सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा निष्पादित किए जाने हैं । इन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के तहत 1000 किलोमीटर (लगभग) की लंबाई की भूमिगत सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा, भारत का लक्ष्य परिवहन व्यवस्था में सुधार लाने और इसके परिणामस्वरूप हमारी रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्र में कई सुरंगों का निर्माण करना है ।