वाराणसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) वाराणसी के तीन वैज्ञानिकों, प्रो. प्रलय मैती, स्कूल ऑफ मैटेरियल्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी, डॉ. शांतनु दास, सिरेमिक इंजीनियरिंग विभाग और डॉ. शिवम तिवारी, पीएचडी, स्कूल ऑफ मैटेरियल्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने पिछले महीने नई दिल्ली में एक साथ ’11वां राष्ट्रीय पेट्रोकेमिकल्स पुरस्कार’ जीता। यह राष्ट्रीय पुरस्कार IIT (BHU) के शोधकर्ताओं को रसायन और पेट्रोरसायन विभाग, रसायन और उर्वरक मंत्रालय, भारत सरकार के केंद्रीय पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईपीईटी), भारत सरकार के सहयोग से दिया गया।
यह पुरस्कार भगवंत खुबा, रसायन और उर्वरक मंत्रालय और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में राज्य मंत्री ने आईआईटी (बीएचयू) के वैज्ञानिकों को उनके शोध कार्य “लोकोस्ट, ड्यूरेबल एंड रिन्यूएबल पॉलीमर बेस्ड हाईली एफिशिएंट एडहेसिव फॉर मेटल-सिरेमिक जॉइंट्स” श्रेणी के तहत ‘इनोवेशन इन पॉलीमेरिक मैटेरियल्स’ के तहत प्रदान किया गया। इस स्वदेशी तकनीक को स्कूल ऑफ मैटेरियल्स साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रो. प्रलय मैती और उनकी टीम और सिरेमिक इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू), वाराणसी के डॉ. शांतनु दास ने मिलकर विकसित किया है। संस्थान के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने इस उपलब्धि पर शोध टीम को शुभकामना दी है।
यह जानकारी देते हुए डॉ. शांतनु दास ने बताया कि धातु-सिरेमिक जोड़ घरेलू उपयोग और इलेक्ट्रॉनिक सर्किट/उपकरणों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। वर्तमान आविष्कार पर्यावरण के अनुकूल, आसानी से संसाधित, यांत्रिक रूप से मजबूत, थर्मल रूप से स्थिर और कम लागत वाला है।