वाराणसी। आईआईटी (बीएचयू) बिजली के क्षेत्र में स्मार्ट ग्रिड प्रणाली एवं यातायात के क्षेत्र में स्मार्ट परिवहन प्रणाली और स्मार्ट शहर यातायात प्रबंधन प्रणाली से संबंधित परियोजना के उन्नत प्रौद्योगिकियों संग शोध करेगा। इसके लिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा संचालित आई-डीएपीटी हब फाउंडेशन, वाराणसी और यूएसए स्थित नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ, यूएसए) सहयोग करेंगे जो इन परियोजनाओं में उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा साइंस, एज कंप्यूटिंग, ऑगमेंटेड रियलिटी आदि पर केंद्रित होगा।
यह जानकारी देते हुए संस्थान के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने दोनों देशों के अनुसंधान समुदाय को सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हाथ मिलाया, जो पारस्परिक सामाजिक और आर्थिक लाभ के लिए नई प्रौद्योगिकियों, उपकरणों और प्रणालियों के विकास में तेजी लाएगा। इसके अंतर्गत आईडीएपीटी हब फाउंडेशन, आईआईटी (बीएचयू) और नेशनल साइंस फाउंडेशन, यूएसए (एनएसएफ, यूएसए) द्वारा बिजली, हेल्थकेयर, सड़क परिवहन, दूरसंचार आदि जैसे क्षेत्रों में डेटा एनालिटिक्स और प्रेडिक्टिव टेक्नोलॉजी की उन्नति के लिए काम कर रहे संभावित शोधकर्ताओं आमंत्रित आवेदनों में से से आवेदन आमंत्रित किए। कड़े प्रयासों के बाद एनएसएफ और आईडीएपीटी हब फाउंडेशन द्वारा प्राप्त आवेदनों की स्क्रीनिंग के दौर में, आईआईटी (बीएचयू) से दो परियोजना प्रस्तावों को अनुदान के लिए स्वीकृत किया गया है।
उन्होंने बताया कि पहली स्वीकृत परियोजना स्मार्ट पावर ग्रिड प्रणाली से संबंधित है, जो सभी के बीच बिजली इक्विटी और लागत प्रभावशीलता सुनिश्चित करेगी जिससे उपभोक्ता को भुगतान करने की कुल लागत में कमी आएगी। स्मार्ट पावर ग्रिड सिस्टम भविष्य की स्मार्ट दुनिया के लिए भी रास्ता बनाएगा, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन अवसंरचना, ऊर्जा कुशल भवन, नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना, स्मार्ट मीटर आदि शामिल हैं।
अन्य स्वीकृत परियोजना स्मार्ट परिवहन प्रणाली और स्मार्ट शहर यातायात प्रबंधन प्रणाली से संबंधित है जो शहर की सड़कों पर भीड़भाड़ को कम करेगी और वायु प्रदूषण, कार्बन-फुटप्रिंट को कम करेगी। प्रस्तावित परियोजना में मशीन लर्निंग को आईओटी और 5जीके साथ जोड़ा गया है, जिससे मानव जनित दुर्घटनाओं को कम किया जा सके। स्मार्ट परिवहन भी अत्यधिक लागत प्रभावी होगा और इस प्रकार वैश्विक तेल संकट को हल करेगा।
निदेशक ने स्वीकृत परियोजनाओं के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि ये संयुक्त सहयोग एक अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान समुदाय के निर्माण के लिए नए मार्ग प्रशस्त करेंगे जो बहुआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का समाधान करेंगे। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि साइबर-भौतिक प्रणालियों द्वारा प्रदान की जाने वाली संभावनाएं भविष्य की नौकरियों के लिए बहुत बड़ी हैं और आईआईटी (बीएचयू) माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि का समर्थन करने के लिए इसे अपने पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है।