वाराणसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) में शनिवार को ’’भारत के प्रथम सौर मिशन आदित्य-एल 1 2023 के उत्तर्राध में लैगरेजियन-1 बिन्दु पर स्पेस में प्रक्षेपित होगा’’ विषय की तीसरी तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ शनिवार को हुआ। इस कार्यषाला में पूरे भारत से वरिष्ठ खगोलविद्् भौतिक शास्त्री एवं छात्र सम्मिलित हैं, जो अगले तीन दिन तक सूर्य एवं हिलियोस्फीयर की भौतिकीय अवधारणाओं के साथ आदित्य स्पेस मिशन के इंस्ट्रमेन्टस एवं उनके कार्यो पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा छात्रों के लिए परीक्षण कार्यषाला तथा वृहद व्याख्यान भी आयोजित होंगे।
कार्यक्रम संयोजक डॉ अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि आदित्य-एल1 पहला भारतीय सौर अंतरिक्ष मिशन है, जिसे 2023 के अंत में इसरो द्वारा लॉन्च किए जाने की उम्मीद है। इसमें कई उपकरण ऑनबोर्ड हैं जो सौर वातावरण में विभिन्न ऊर्जावान प्लाज्मा प्रक्रियाओं की भौतिकी और उनकी भूमिका को समझने में संभावित रूप से हमारी मदद करेंगे। अंतरिक्ष मौसम के गठन में। विशेष रूप से, यह कुछ बकाया समस्याओं जैसे कि कोरोनल हीटिंग, विस्फोटक प्रक्रियाओं की उत्पत्ति, सौर हवा को हल करेगा और अंतरिक्ष मौसम की भविष्यवाणी के लिए भी इस्तेमाल किया जाएगा। आदित्य-एल1 मिशन की विशाल क्षमता को देखते हुए, वैज्ञानिक कार्यशाला में सौर और हेलिओस्फेरिक भौतिकी में चुनौतियों पर चर्चा कर रहे हैं और कैसे मिशन हमें उनका समाधान करने में मदद कर सकता है। IIT (BHU) में खगोल भौतिकी समूह के सदस्य आदित्य L1 उपकरणों में से कुछ में विज्ञान टीम का हिस्सा हैं।
उद्घाटन में संस्थान की तरफ से डीन रिसर्च एवं डेवलपमेन्ट प्रो. विकास कुमार दूबे, निदेशक एरीज नैनीताल ंप्रो. दीपांकर बनर्जी, एवं भौतिकी विभाग प्रमुख प्रो. संदीप चटर्जी के अलावा डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव, डॉ. बिद्या विनय करक, डॉ. प्रसून दत्ता, डॉ. कुलदीप वर्मा, डॉ. पवन अलूरी जैसे खगोलभौतिक विद्् एवं अन्य प्राध्यापक उपस्थित रहे। प्रो. दूबे ने संस्थान के अनुसंधान कार्यो एवं वृहद परियोजनाओं के विशय में चर्चा किया एवं प्रो. चटर्जी ने भौतिक विभाग के अनुसंधान कार्यो एवं खगोल भौतिकी एवं अन्य अनुसंधान कार्यो के विशय में व्याख्या दिया।
एरीज निदेशक प्रो. बनर्जी के आदित्य मिशन एवं सूर्य के व्याख्यान के साथ कार्यषाला आरंभ हुई। संस्थान निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने आदित्य-एलवन मिशन के आने वाले समयकाल में सफल प्रक्षेपण एवं वैज्ञानिकीय कार्यो के लिए सभी वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं व्यक्त की है और आशा व्यक्त की कि आईआईटी (बीएचयू.) एवं अन्य तकनीकी संस्थान आने वाले अन्य भारतीय अंतरिक्षीय कार्यक्रमों में इसी प्रकार वृृहत क्रियान्वयन में भाग लेंगे। कार्यषाला में भारत के राश्ट्रीयकृृत अनुसंधान संस्थानों, एवं इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के वैज्ञानिक व्याख्यान दे रहें एवं यह कार्यशाला एरीज नैनीताल, एवं आईआईटी. (बीएचयू.) के सहयोग से प्रतिपादित हो रही है।