वाराणसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) स्थित स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के डॉ प्रोद्युत धर को 25 अक्तूबर को आयोजित नेशनल बम्बू इनोवेशन चैलेंज 2022 (वर्चुअल) में प्रोटोटाइप विकास चरण श्रेणी के तहत शीर्ष पांच विजेताओं के रूप में चुना गया है। यह पुरस्कार डॉ. प्रोद्युत धर और उनकी टीम को बांस क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों और विकास के लिए प्रदान किया गया, जो उद्योगों और स्टार्ट-अप के लिए नए व्यावसायिक अवसर खोलता है। इस प्रतियोगिता को भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय द्वारा समर्थित और फाउंडेशन फॉर एमएसएमई क्लस्टर (एफएमसी) की ओर से फिनोविस्टा द्वारा प्रबंधित किया गया था।

डॉ. प्रोद्युत धर ने बताया कि केमबॉयोसिस्टदम एंड टेक्नो लॉजी की प्रयोगशाला में उनकी टीम ने ‘स्मार्टी बैम्बू’ परियोजना पर काम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसका उद्देश्य बांस को आधार सामग्री के रूप में उपयोग करके उच्च प्रदर्शन वाले उत्पादों को विकसित करना है जिनका व्यावसायिक स्तर पर आसानी से उपयोग किया जा सकता है। इसका उद्देश्य पेट्रोलियम आधारित उत्पादों की जगह बांस को एक स्थायी सामग्री के रूप में बढ़ावा देना है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद करना है। “Smarty Bamboo” परियोजना ने चार प्रकार के बांस आधारित मूल्य वर्धित उत्पादों को विकसित किया है जो विभिन्न नए क्षेत्रों जैसे कृषि, स्मार्ट वस्त्र, स्वास्थ्य देखभाल, खाद्य पैकेजिंग, मोटर वाहन भागों, चमकदार सड़क संकेतों में सेंसर के रूप में बांस के अनुप्रयोगों को व्यापक बनाने में मदद करता है। सभी उत्पाद टिकाऊ रासायनिक आधारित प्रक्रिया के माध्यम से उत्पादित होते हैं जो प्रकृति में बायोडिग्रेडेबल होते हैं।
उनकी इस उपलब्धि पर संस्थान के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने बधाई दी और कहा कि इस तरह के बांस आधारित उत्पादों को कम कुशल श्रमिकों की मदद से कम लागत वाली सामग्री का उपयोग करके स्थानीय रूप से उगाए गए बांस के साथ विकसित किया जा सकता है जो इसे ग्रामीण परिवेश में व्यावसायिक अवसरों के लिए उपयुक्त बनाता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए बांस में व्यापक गुंजाइश और उल्लेखनीय अप्रयुक्त क्षमता है। संस्थान के डीन (आर एंड डी) प्रो. विकास कुमार दुबे ने भी बधाई दी और कहा कि ऐसी परियोजना संबंधी गतिविधियां कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय बांस मिशन कार्य योजना पहल का हिस्सा हो सकती हैं जिससे किसान की आय दोगुना करने में मदद करेगी और बांस आधारित उत्पादों के आयात पर निर्भरता कम करेगी।
डॉ. प्रोद्युत धर ने बताया कि भारत बांस का दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, हालांकि, वैश्विक स्तर पर बांस आधारित उत्पादों के व्यापार और वाणिज्य में देश की हिस्सेदारी बेहद कम है। उन्होंने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय बांस मिशन के माध्यम से बांस आधारित उत्पादों और प्रसंस्करण इकाइयों दोनों के संदर्भ में इस तरह के तकनीकी नवाचारों की उन्नति, कौशल विकास के साथ-साथ एक संपूर्ण मूल्य श्रृंखला बनाने की आवश्यकता है। आत्मनिर्भर भारत और स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत राष्ट्रीय बांस मिशन भारत सरकार की एकल उपयोग प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने की पहल के अनुरूप है। बांस के विकसित उत्पादों से कृषि, कपड़ा, स्वास्थ्य देखभाल, मोटर वाहन, निर्माण सामग्री के क्षेत्रों में संभावित अनुप्रयोगों की विस्तृत श्रृंखला है, जिससे बांस क्षेत्र में शामिल कर्मियों के लिए नौकरी, बाजार और वित्तीय रिटर्न में मदद की उम्मीद है।