वाराणसी। आईआईटी (बीएचयू), वाराणसी के सहायक आचार्य डॉ. प्रांजल चंद्रा द्वारा संपादित पुस्तक “डाइग्नोस्टिक स्ट्रेटजीज फॉर कोविड-19 एंड अदर कोरोनावायरसेस” को सीएनएन और फोर्ब्स, यूएसए द्वारा वैश्विक स्तर पर मिला पांचवां स्थान मिला है।

जैव रासायनिक इंजीनियरिंग के सहायक आचार्य डॉ. प्रांजल की संपादित पुस्तक का प्रकाशन अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के विशेषज्ञ के सहयोग से किया गया है। पुस्तक का विचार तब उत्पन्न हुआ था, जब दुनिया कोविड महामारी से पीड़ित थी, उस समय आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन के निर्देशन में शोधकर्ता दिन-रात जागरूकता फैलाने, और बड़े पैमाने पर आम जनता के लिए ज्ञान का प्रसार कर रहे थे। शिक्षा और उद्योग के विशेषज्ञ संस्थान; स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय; किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी; डीबीटी-एनआईएबी, साइबरडाइन इंक: नीदरलैंड; ब्रुनेई दारुस्सलाम विश्वविद्यालय; नैनोलेन, ले मैंस, फ्रांस आदि ने विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से पुस्तक में योगदान दिया ।
पुस्तक में महत्वपूर्ण नमूनाकरण प्रक्रियाओं के विभिन्न पहलुओं और प्रतिदिन के रणनीतियों पर बारीक बिंदुओं को शामिल किया गया है, जिसमें विभिन्न केस स्टडी और प्रतिनिधि के साथ बायोइलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, एलएएमपी असिस्टेड सिस्टम, आरटी-पीसीआर, सीरोलॉजिकल एसेज़, पेपर आधारित डिवाइस, रेडियोलॉजिकल विश्लेषण, ऑप्टिकल डिवाइस, इमेजिंग सिस्टम आदि शामिल हैं। इतना ही नहीं, पुस्तक में नवीनतम नैनो-बायो-इंजीनियर्ड टूल्स और नैनो-बायो-मटेरियल्स का भी विस्तार से वर्णन किया गया है जो वर्तमान में SARS-CoV-2 का पता लगाने के लिए उपयोग किए जा रहे हैं और उपचार के बाद निगरानी के लिए रणनीतियों की जांच करते हैं।
प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि डॉ. प्रांजल चंद्रा द्वारा संपादित पुस्तक एक उत्कृष्ट कृति है और अत्यधिक प्रतिकूल परिस्थितियों में बहुत प्रभावी ढंग से काम करने का एक आदर्श उदाहरण है । डॉ. प्रांजल चंद्रा ने कहा कि बहुत सी नई एकीकृत तकनीकों, आधुनिक नैदानिक दृष्टिकोणों और संभावित भविष्यवादी दृष्टिकोणों पर विस्तार से चर्चा की गई है, जो वैश्विक स्तर पर क्लीनिकल अभ्यास और व्यक्तिगत निदान में कोविड-19 और अन्य कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए हैं । प्रो. विकाश कुमार दूबे, अधिष्ठाता, अनुसंधान एवं विकास ने कहा कि निदेशक महोदय के नेतृत्व में आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी भी विभिन्न कोविड संबंधित अनुसंधान गतिविधियों में शामिल था ।