वाराणसी। लोकतांत्रिक व्यवस्था में पत्रकारिता का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य लोकतात्रिक मूल्यों की स्थापना और उसकी रक्षा करना है। जनमत निर्धारण की दिशा में पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका है। हिन्दी पत्रकारिता के लिए यथार्थता, वस्तुपरकता, निष्पक्षता और संतुलन जरूरी है। भाषाई दोष और बाजारवाद ने पत्रकारिता को प्रभावित किया है। यह विचार आज काशी पत्रकार संघ द्वारा पराड़कर स्मृति भवन में हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिन्दी पत्रकारिता’ विषयक संगोष्ठी में वक्ताओं ने व्यक्त किये। मुख्य वक्ता साहित्यकार डॉ. जितेन्द्रनाथ मिश्र ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता के चलते ही स्वतंत्रता प्राप्त हुई है। समस्या का समाधान पत्रकारिता से ही निकलेगा। विकृतियों से खुद को पत्रकार बचाये रखें, यही जरूरी है।
प्रो. श्रद्धानन्द ने पत्रकारिता के लक्ष्य से भटकने पर चिंता जताते कहा कि पत्रकार की कलम में पराड़कर जी और प्रेमचंद वाली शक्ति होनी चाहिए। अध्यक्ष सुभाषचन्द्र सिंह ने कहा कि जैसी राजनीति होगी वैसी पत्रकारिता होगी। संचालन करते महामंत्री डॉ. अत्रि भारद्वाज ने कहा कि पत्रकारिता में आया भाषादोष पाश्चात्य संस्कृति के विस्तार से है। पूर्व अध्यक्ष कृष्णदेव नारायण राय ने कहा कि पत्रकारिता को जनता की आवाज बनना चाहिए। बीबी यादव ने समस्याएं रेखांकित की। आर. संजय ने युगबोध और दायित्व पर जोर दिया। शैलेश चैरसिया ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता संभावनाओं से पूर्ण है। अखिलेश मिश्र ने सीखने-सिखाने की रुचि खत्म होने पर चिंता जतायी। राजेश राय व मोहम्मद अशफाक सिद्दीकी ने स्वमूल्यांकन पर जोर दिया। आलोक श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर सुनील शुक्ला, जयनारायण मिश्र, नितिन टंडन, विमलेश चतुर्वेदी, सुशीला, हरिबाबू श्रीवास्तव, दिलीप कुमार, सुरेश कुमार शुक्ला, सूरज यादव आदि उपस्थित थे।