चेन्नई। 25 जून 1983 को जब हमने ताकतवर वेस्टइंडीज को फाइनल में हराकर विश्वकप जीता तो लगा, जैसे भारत में आज क्रिकेट का संवतंत्रता दिवस है। यह ऐसी घटना थी, जिसपर काफी समय तक सहसा विश्वास ही नहीं हो रहा था। यह बहुत बड़ी कामयाबी थी। इस जीत ने भारतीय क्रिकेट का कलेवर ही बदलकर रख दिया था।
यह कहना है कपिल देव के नेतृत्व वाली उस करिश्माई टीम के सदस्य रहे विस्फोटक बल्लेबाज कृष्णमाचारी श्रीकांत का। उन्होंने कहा कि आज भी जब हम उस जीत के बारे में बात करते हैं तो लगता है कि कहीं यह कोई स्वप्न तो नहीं है। वाकई वह महान क्षण था।
चेन्नईसुपरकिंग्सडॉटकॉम से सुनहरी यादें साझा करते हुए श्रीकांत ने कहा कि उस दिन पूरे लंदन की निगाह हमपर थी। हम विश्व चैंपियन हो गए थे। श्रीकांत ने कहा कि हमारी सफलता के पीछे एक बड़ा कारण कप्तान कपिल देव का आक्रामक रवैया भी था। इसके अलावा उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति ने इसमें ऊर्जा भर दी थी।
श्रीकांत ने कहा कि आप अब कभी भी दूसरा कपिलदेव नहीं पाएंगे। मैं कह सकता हूं कि वह ऐसी शख्सियत के मालिक हैं, जो कभी हार नहीं मानता। वह हमेशा खिलाड़ियों से कहते थे कि हम यह कर सकते हैं। वह जिम्मेदारी उठाने में विश्वास रखते थे और विपक्षियों के सामने चट्टान की तरह खड़े रहते थे। मुझे आज भी याद है कि विश्वकप के पहले मैच की पूर्व संध्या पर कपिल ने कहा था कि हम वेस्टइंडीज को हरा सकते हैं, क्योंकि भारत उन्हें एक बार हरा चुका है।
विश्वकप से पहले हम वेस्टइंडीज के दौरे पर गए थे। वहां हमने एक मैच में उन्हें हरा दिया था। मेरा उस समय विवाह हुआ था और मैं टीम में नहीं था। इसके बाद ही कपिल ने कहा था कि जब हम एक बार उन्हें हरा सकते हैं तो दोबारा क्यों नहीं। मुझे तब लगा था कि यह पागलपन है। हमारे सामने गॉर्डन ग्रीनिज, डेसमंड हेंस, विवियन रिचर्ड्स, क्लाइव लॉयड, लैरी गोम्स जैसे खिलाड़ी थे। इनके अलावा वेस्टइंडीज का तेज गेंदबाजी आक्रमण पूरी दुनिया के बल्लेबाजों के लिए खौफ बना हुआ था। माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबर्ट्स, जोएल गार्नर, मैल्कम मार्शल का सामना करना सहज नहीं था।
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