मुंबई। भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान नहीं बन पाने पर युवराज सिंह का दर्द एक बार फिर छलका है। उन्होंने कहा कि भारतीय क्रिकेट में एक ऐसा समय आया था, जब मैं पूरी तरह आश्वस्त था कि अब टीम का नेतृत्व करने का मौका मिल जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। बाद में मुझे पता चला कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के कुछ बड़े अधिकारी मुझे कप्तान बनाने के विचार का समर्थन नहीं करते थे।
हाल ही में युवराज ने संजय मांजरेकर के साथ स्पोर्ट्स 18 पर बात करते हुए अपने दर्द साझा किए। युवराज ने कहा कि यह 2007 का समय था, जब तत्कालीन कोच ग्रेग चैपल को लेकर विवाद शुरू हुआ था। पहला टी-20 विश्वकप शुरू होने वाला था। टीम के सीनियर खिलाड़ियों ने इस प्रतियोगिता से नाम वापस ले लिया और नया कप्तान भी चुना जाना था। तब मुझे लगा था कि वीरेंदर सहवाग टीम में नहीं हैं और सीनियर होने के नाते अब नेतृत्व मेरे हाथ में आ गया है पर यह जिम्मेदारी महेंद्र सिंह धौनी को दे दी गई।
युवराज सिंह ने कहा कि कुछ लोग (टीम के खिलाड़ी भी) यह मानते थे कि मैं लोगों का समर्थन करता हूं और मुझे भी समर्थन हासिल है। चाहे वह चैपल हों या सचिन। पर मुझे पता चला कि बोर्ड में कुछ लोग हैं, जो यह नहीं चाहते कि मैं कप्तानी करूं। मैं यह नहीं जानता कि यह कहां तक सच है, लेकिन अचानक मुझे उपकप्तान पद से भी हटा दिया गया था।
हाल ही में सुर्खियों में आए युवराज
युवराज सिंह हाल ही में यह बयान देकर सुर्खियों में आए थे कि उन्हें बोर्ड की ओर से कभी वैस् समर्थन नहीं मिला, जो महेंद्र सिंह धौनी को हासिल था। उनके अलावा हरभजन सिंह, वीरेंदर सहवाग और गौतम गंभीर ऐसे खिलाड़ी थे, जिन्हें समर्थन नहीं हासिल था। युवराज ने कहा कि माही को रवि शास्त्री और विराट कोहली ने भी काफी समर्थन दिया। उन्होंने माही को विश्वकप 2019 में भी खेलने का मौका दिया, जिसके चलते धौनी ने अंत तक क्रिकेट खेली। मैं मानता हूं कि खेलने के लिए समर्थन जरूरी है, लेकिन भारतीय क्रिकेट में सबके साथ ऐसा नहीं होता।
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