आर. संजय
विराट कोहली क्रिकेट जगत में वह नाम है, जिसके क्रीज पर आते ही विपक्षी गेंदबाजों के पसीने छूटने लगते थे। मैदान के हर कोने में स्ट्रोक खेलने की अद्भुत क्षमता के चलते वह भारतीय टीम में चट्टान की तरह अडिग रहे। पर, कहते हैं न कि हर खिलाड़ी का खराब दौर आता है, सो कोहली का भी आया। सामान्य तौर पर होने वाली यह घटना कोहली के मामले में उनके नाम की ही तरह विराट होती जा रही है।
कोई यह कल्पना नहीं कर सकता कि 102 टेस्ट मैचों में 27 शतक, 28 अर्धशतक और करीब 50 के औसत से 8074 रन, 260 एक दिनी अंतरराष्ट्रीय मैचों में 43 शतक और 48 अर्धशतक तथा लगभग 60 के औसत से 12311 रन और 99 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 30 अर्धशतक और 50 से ऊपर के औसत से 3308 रन बना चुका यह बल्लेबाज पिछले ढाई साल से रनों के लिए तरस गया है। यह बिल्कुल उसी तरह है कि आसमान में बादल छा रहे हैं, थोड़े गरज रहे हैं और दो-चार छींटे बरसाकर चले जा रहे हैं।
कोहली की फॉर्म को लेकर पिछले कुछ दिनों से कई चर्चाएं हुई हैं। कुछ दिग्गज खिलाड़ियों ने तो परोक्ष रूप से लताड़ तक लगा दी। विराट उस कद के खिलाड़ी हैं, जिन्हें टीम में होने और फिट रहने पर अंतिम एकादश से बाहर नहीं रखा जा सकता, लेकिन जब प्रदर्शन का प्रश्न उठता है तो उनकी हालिया फॉर्म निश्चित तौर पर टीम प्रबंधन और प्रशंसकों को चिंता में डालती है। खासकर तब, जब टी-20 विश्वकप सामने खड़ा है।
कोहली आईपीएल समेत हाल की सीरीजों में जिन गेंदों पर आउट हुए, उन्हें कभी वह बाउंड्री के बाहर भेजते दिखते थे। उदाहरण के तौर पर अगर गुरुवार को लॉर्ड्स पर खेले गए मुकाबले की बात करें तो तीन शानदार चौके जड़ने के बाद ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद पर जिस तरह बल्ला अड़ाकर उन्होंने विकेट गंवाया, उससे लगा कि कोई नौसिखिया खिलाड़ी है। शॉर्ट ऑफ लेंग्थ गें पर कोहली फ्रंट फुट पर थे और शरीर से दूर हो रही गेंद को अनमने तरीके से खेलने की कोशिश की। अक्सर धुरंधर बल्लेबाज ऐसी गेंदों को या तो छोड़ते हैं या फिर बैकफुट पर गेंद के करीब से स्ट्रोक खेलते हैं। कोहली भी कभी ऐसा ही करते थे।
कोहली के खेलने का तरीका जिस कदर खराब हुआ है, उससे लगता है कि उनमें आत्मविश्वास की कमी हो रही है। ऐसे में व्यक्ति टीम में होते हुए भी खुद को अलग-थलग महसूस करने लगता है। विराट के स्तर के एक बड़े खिलाड़ी के लिए ऐसी स्थिति बेहद खतरनाक है। कोहली को टीम प्रबंधन से समर्थन तो मिल रहा है, लेकिन उनका आत्मविश्वास बढ़ाने के उपाय भी होने चाहिए। विराट को मनोवैज्ञानिक सलाह की जरूरत भी महसूस हो सकती है। इस हाल में उन्हें किसी सीरीज में आराम देने की बजाय विश्वकप तक लगातार खेलने के मौके देकर आत्मविश्वास बढ़ाना होगा।