दुबई। एशिया कप के सुपर-4 मुकाबले में आज भारत और पाकिस्तान आमने-सामने होंगे। इस मुकाबले का इंतजार दोनों देशों के अलावा दूसरे देशों के प्रशंसकों को भी होता है। दोनों टीमों की खूबियों और खामियों पर खूब चर्चा हो रही है। इन सबके बीच एक बड़ी सच्चाई यह भी है कि क्रिकेट के इस सबसे छोटे प्रारूप में कोई उस्ताद नहीं है। जब जो चल जाए, उसी के हाथ जीत लगती है। बस तीर-और तरकश समय पर काम करने चाहिए।
इस बात को इस टूर्नामेंट में अफगानिस्तान की टीम ने साबित किया है। यह टीम टूर्नामेंट शुरू होने से पहले क्रिकेट के पंडितों की बनाई कुंडलियों में कहीं नहीं थी, लेकिन इस टीम ने न सिर्फ पांच बार की चैंपियन श्रीलंका को हराया, बल्कि बांग्लादेश को भी हराकर अपने ग्रुप में शीर्ष पर रहते हुए सुपर-4 में पहुंची। शनिवार के मैच की बात करें तो श्रीलंका ने जीत तो दर्ज की, लेकिन अफगानिस्ता ने आगे के लिए सभी टीमों को चेतावनी भी दे डाली। नजीबुल्लाह जादरान का लांग ऑन बाउंड्री पर लिया कैच विश्वस्तरीय और असाधारण था। हां, यह जरूर था कि इसको छोड़कर अफगानिस्तान की बाकी फील्डिंग उतनी अच्छी नहीं रही। कैच भी छूटे। मैच के बाद कप्तान मोहम्मद नबी ने इसको स्वीकार भी किया। गेंदबाजी में कोई कमी नहीं दिखी।
अब भारत और पाकिस्तान की बात करें तो विश्वकप (एक दिवसीय या टी-20) में एक बार को छोड़कर भारत का पलड़ा हमेशा भारी रहा है। एशिया कप में भी भारत ने पाकिसतान को पटखनी दी है। तुलनात्मक दृष्टि से देखें तो भारत ने सात बार खिताब जीता है, जबकि पाकिस्तान को सिर्फ एक बार ट्रॉफी उठाने का मौका मिला। मौजूदा एशिया कप के ग्रुप मैच में भारत ने नजदीकी मुकाबले में जीत दर्ज की थी।
भारत के लिए सुखद संकेत विराट कोहली का फार्म में लौटना जरूर है, लेकिन अब कप्तान रोहित शर्मा की बल्लेबाजी चिंता का विषय बनी है। ग्रुप के दोनों मैचों में एक अच्छा शॉट लगाने के तुरंत बाद खराब शॉट लगाकर वह आउट हुए हैं। पाकिस्तान के खिलाफ आज के सुपर-फोर मैच में रोहित का बल्ला चलना जरूरी है। खासकर पावर प्ले के छह ओवरों में कोशिश होनी चाहिए कि बिना विकेट गंवाए 50-60 रन जुटाए जाएं। ऐसा इसलिए कि यही रन ज्यादातर मौकों पर जीत का आधार बनते हैं। भुवनेश्वर कुमार उस तेवर में नहीं दिख रहे, जो उन्होंने हाल की द्विपक्षीय सीरीज में दिखाया था। आवेश खान काफी आवेश में गेंदबाजी करते हैं। विविधता नहीं होने के कारण वह बल्लेबाजों को दबाव में नहीं ला पाते। इसके अलावा वाइड और नोबॉल भी उनकी बड़ी परेशानी है। अर्शदीप सिंह में विविधता, लेकिन उन्हें इसपर और मेहनत करने की जरूरत है।
भारत का स्पिन गेंदबाजी आक्रमण अबतक संतुलित रहा है। युज्वेंद्रा चहल ने भले ही विकेट न लिए हों, पर किफायती गेंदबाजी से विपक्षी टीमों पर दबाव डाला है। रवींद जडेजा की कमी तीनों पक्षों में खलेगी। वह सधे हुए बल्लेबाज के अलावा मौके पर विकेट निकालने वाले गेंदबाज तो हैं ही, उनकी फील्डिंग भी बल्लेबाजों को दबाव में रखती है। अक्षर पटेल की क्षमता और काबीलियत पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन बड़े दबाव वाले इस मैच में उनकी कड़ी परीक्षा होगी।