मुंबई। पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने बतौर खिलाड़ी भारतीय क्रिकेट और प्रशंसकों को काफी कुछ दिया है। वह उन खिलाड़ियों में शुमार थे, जो जबतक मैदान पर बल्लेबाजी करते, टीम की जीत की गारंटी होती थी। हालांकि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में गांगुली की दूसरी पारी उतनी अच्छी नहीं रही। वह कई बार विवादों में घिरे और अंततः इनसे कभी दूर नहीं हो पाए। इसका नतीजा इस रूप में आया कि उन्हें बोर्ड का शीर्ष पद गंवाना पड़ रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सौरव गांगुली ने अक्तूबर 2019 में बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के बाद कहा था कि वह आने वाले समय में बोर्ड में काफी सकारात्मक बदलाव करेंगे। गांगुली की इस बात से देश के क्रिकेट प्रशंसकों और बोर्ड से जुड़े लोगों की आकांक्षाएं काफी बलवती हो गईं। हालांकि इसके उलट गांगुली का कार्यकाल काफी मायनों में विवादों से घिर गया।
गांगुली की सबसे ज्यादा आलोचना तब हुई जब विराट कोहली ने अचानक भारतीय टीम का कप्तान पद छोड़ने का फैसला किया। यह मुद्दा मीडिया और प्रशंसकों के बीच काफी तेजी से उछला था। बाद में सौरव गांगुली ने इस मसले पर प्रेस कांफ्रेंस की, लेकिन वहां भी स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कह सके। गांगुली पर यह भी आरोप लगे कि उन्होंने बोर्ड अध्यक्ष के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया और वह भारतीय क्रिकेट चयनसमिति की बैठकों में जबरन घुस जाया करते थे।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जब बीसीसीआई को अपना विधान संशोधित करने की इजाजत दे दी तो ऐसा कहा जाने लगा कि सौरव गांगुली दोबारा बोर्ड अध्यक्ष बना दिये जाएंगे। हालांकि ऐसा हुआ नहीं। अब चर्चा तेज हो गई है, कि 1983 के विश्व कप में भारत के चैंपियन बनने में अहम भूमिका निभाने वाले रोजर बिन्नी बीसीसीआई के अगले अध्यक्ष होने जा रहे हैं।