नागपुर। कप्तान रोहित शर्मा के शतक के बाद रवींद्र जडेजा और अक्षर पटेल के अर्धशतकों की मदद से भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली पारी में 144 रन की महत्वपूर्ण बढ़त हासिल कर ली है। ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी के 177 रन के जवाब में भारत ने दूसरे दिन का खेल खत्म होने तक भारत ने सात विकेट पर 321 रन बना लिए। दिन में कई खास रिकॉर्ड बने। ऑस्ट्रेलिया के स्पिनर टॉड मर्फी ने पहले ही मैच की पहली पारी में पांच विकेट लिए। दूसरे दिन का खेल खत्म होने के समय जडेजा नौ चौकों की मदद से 66 और पटेल आठ चौकों की मदद से 52 रन बनाकर क्रीज पर थे।
ऑस्ट्रेलिया की फील्डिंग काफी लचर रही। खासकर स्लिप में स्टीव स्मिथ ने दो आसान कैच छोड़े। उन्होंने दिन के अंतिम ओवर की पांचवीं गेंद पर जडेजा का कैच छोड़ा। इससे पहले इसी ओवर में विकेटकीपर केरी से भी कैच छूटा था। पिच का जैसा मिजाज है, अगर भारत अपनी पहली पारी की बढ़त 175 से 180 रन तक ले जाता है तो ऑस्ट्रेलिया के लिए काफी मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
इन मायनों में खास रहा रोहित का शतक
रोहित शर्मा ने विपरीत परिस्थितियों में संघर्ष की जबरदस्त क्षमता दिखाते हुए टेस्ट करियर का नवां शतक जड़ा। यह उनका कप्तान के रूप में और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहला शतक रहा। जिस घरेलू मैदान पर कभी “बॉल ब्वाय” (बाउंड्री के बाहर गेंद पकड़ने वाले प्रशिक्षु खिलाड़ी) रहे रोहित के लिये यह शतक खास यादगार होगा। उन्होंने 15 चौके और दो छक्के की मदद से 120 रन बनाए। इसके अलावा रोहित पहले ऐसे भारतीय कप्तान हो गए हैं, जिन्होंने अपने नेतृत्व में खेल के तीनों प्रारूपों में शतक जड़े हैं।

टॉड मर्फी का डेब्यू मैच में शानदार पंच
ऑस्ट्रेलिया के 22 साल के टॉड मर्फी ने टेस्ट क्रिकेट में शानदार डेब्यू करते हुए एक पारी में पांच विकेट पूरे किये। उन्होंने केएल राहुल, रविचंद्रन अश्विन, चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली और श्रीकर भरत के विकेट लिए। यह उनका टेस्ट मैच के अलावा प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा।
अश्विन ने दबाव हटाने में मदद की
पहले दिन नाइट वॉचमैन की भूमिका में आखिरी नौ गेंदें खेलने उतरे अश्विन ने दूसरे दिन सुबह अच्छी बल्लेबाजी की और टीम पर से दबाव हटाने में मदद की। अश्विन खुद एक बेहतरीन गेंदबाज हैं, इसलिए पिच की प्रकृति और गेंदबाजों की रणनीति को बखूबी समझ रहे थे। उन्होंने दूसरे विकेट के लिए रोहित के साथ न सिर्फ 42 महत्वपूर्ण रन जोड़े, बल्कि पहले सत्र में एक घंटे से ज्यादा समय तक विकेट पर टिककर गेंदबाजों को परेशान भी किया।
गेंद के बाद बल्ले से भी जडेजा का जलवा
ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा के लिए यह टेस्ट दोहरे जश्न वाला रहा। चोट से उबरने के बाद मैदान पर लौटे जडेजा ने 18वां अर्धशतक ठोका। इसके पहले उन्होंने रोहित के साथ छठे विकेट के लिए 61 रन की महत्वपूर्ण साझेदारी करते हुए भारत को पहली पारी के आधार पर बढ़त भी दिलाई। जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में पांच विकेट भी चटकाए थे। जडेजा ने इसके अलावा आठवें विकेट के लिए अक्षर पटेल के साथ अर्धशतकीय साझेदारी भी की। अक्षर ने भी ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के खिलाफ अच्छे स्ट्रोक खेले। इन दोनों ने पारी की सबसे बड़ी साझेदारी भी की। फिर अक्षर ने भी टेस्ट करियर का दूसरा अर्धशतक पूरा किया।
पुजारा को अपनी तकनीक छोड़ना महंगा पड़ा
चेतेश्वर पुजारा को स्पिन लेती पिचों का बेहतर बल्लेबाज माना जाता है। वह धीमा जरूर खेलते हैं, जिसकी वजह से कई बार आलोचनाएं भी झेली हैं, लेकिन उनकी पारियां टीम के लिए काफी महत्व रखती हैं। हालांकि पिछले बांग्लादेश दौरे से उन्होंने अपनी तकनीक छोड़कर तेज बल्लेबाजी शुरू की। वहां उन्होंने अपने करियर का सबसे तेज शतक भी जड़ा, लेकिन नागपुर में यह तकनीक उन्हें महंगी पड़ गई। तेजी से रन जुटाने के चक्कर में पुजारा टॉड मर्फी की लेग स्टम्प से काफी बाहर पड़ी गेंद को फाइनलेग पर उठाकर मारने के चक्कर में वह शॉर्ट फाइनलेग पर बोलैंड को कैच दे बैठे। पुजारा ने ऐसे समय विकेट गंवाया, जब उनकी काफी जरूरत थी।
कोहली और सूर्या से भी मिली निराशा
लगातार राउंड द विकेट गेंदबाजी करते हुए मर्फी और नाथन लियोन ने भारतीय बल्लेबाजों को मुसीबत में डाल रखा था। लंच के बाद सबसे पहले विराट कोहली मर्फी का शिकार हुए। ऐसा लग रहा था कि एक छोर से रोहित शर्मा लगातार ऑस्ट्रेलिया के हर तीर का माकूल जवाब देते रहे और दूसरे छोर पर बल्लेबाज सिर्फ कुछ देर उन्हें ऐसा करते देखने आते रहे। पहला टेस्ट खेल रहे सूर्यकुमार चयनकर्ताओं और टीम प्रबंधन पर भरोसा कायम रखने में विफल रहे। लियोन की गेंद को खेलते समय उनके बल्ले और पैड के बीच कोई तालमेल नहीं था। सूर्या उसी स्टांस में खेल रहे थे, जिसमें वह सीमित ओवर की क्रिकेट खेलते हैं। टेस्ट क्रिकेट में पांव जमाने के लिए उन्हें इसमें थोड़ा परिवर्तन करना होगा।