मीरपुर। रविचंद्रन अश्विन और श्रेयस अय्यर के बीच आठवें विकेट के लिए रिकॉर्ड अविजित साझेदारी ने भारत को सीरीज के दूसरे और अंतिम टेस्ट में न सिर्फ जीत दिलाई, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि विपरीत परिस्थितियों में थोड़ा धैर्य दिखाया जाय तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती। इन दोनों ने 71 रन की साझेदारी कर मैच का रुख पलट दिया। भारत ने यह मैच सात विकेट से जीतकर सीरीज 2-0 से जीत ली। अश्विन 42 और अय्यर 29 रन बनाकर अविजित रहे। चट्टोग्राम में पहला टेस्ट भारत ने 188 रन से जीता था। अश्विन को प्लेयर ऑफ द मैच और चेतेश्वर पुजारा को प्लेयर ऑफ द सीरीज चुना गया।

चौथी पारी में 145 रन बनाने का लक्ष्य भारत जैसे मजबूत बल्लेबाजी क्रम के सामने कोई मुश्किल नहीं था, लेकिन शीर्ष क्रम की आपाधापी ने इसे पहाड़ सरीखा बना दिया। तीसरे दिन का खेल खत्म होने के समय चार विकेट 45 रन पर गंवाकर भारत संघर्ष की स्थिति में आ गया था।
चौथे दिन 74 रन पर सात विकेट गंवा चुके भारत के हाथ से मैच निकलता दिख रहा था। ऐसे समय अय्यर और अश्विन ने काफी धैर्य के साथ बल्लेबाजी की। इन दोनों ने ढीली गेंदों का इंतजार किया और शॉट लगाए। इस दौरान एक-दो रन से लगातार स्कोर बढ़ाते रहे। 46वें ओवर में भारत को जीत के लिए 16 रन की जरूरत थी। अश्विन ने पांच विकेट ले चुके मेहदी हसन की पहली गेंद पर मिडविकेट से छक्का जड़ा। दूसरी गेंद पर दो रन बने। तीसरी और चौथी गेंद डॉट बॉल रही। इसके बाद अंतिम दो गेंदों पर चौका लगाकर अश्विन ने भारतीय खेमे में उत्साह का संचार कर दिया।
चौथे दिन के खेल की शुरुआत तीसरे दिन के अविजित बल्लेबाजों अक्षर पटेल और जयदेव उनादकट ने की। आज पहले आउट होने वाले बल्लेबाज जयदेव उनादकट रहे, जिन्हें नाइट वॉचमैन के तौर पर भेजा गया था। उनादकट ने न सिर्फ तीसरे दिन का शेष खेल सुरिक्षत निकाला था, बल्कि दिग्गजों के मुकाबले कहीं अधिक 13 रन भी बनाए।
पहली पारी में शतक से चूकने वाले ऋषभ पंत और श्रेयस अय्यर के रहते भारत की जीत की उम्मीदें कायम थीं। हालांकि पंत सिर्फ नौ रन बनाकर 71 के स्कोर पर आउट हो गए। इससे भारतीय क्रिकेट प्रेमियों में घोर निराशा घर कर गई। दूसरे छोर से अच्छी बल्लेबाजी कर रहे अक्षर पटेल भी आखिरकार मेहदी हसन की गेंद पर लाइन चूके और बोल्ड हो गए। उन्होंने चार चौकों की मदद से 36 रन की महत्वपूर्ण पारी खेली।