आर. संजय
लखनऊ के भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी एकाना स्टेडियम में भारत के खिलाफ दक्षिण अफ्रीकी टीम ने अपनी योजनाओं को सफलता के साथ अमली जामा पहनाया और उसे अंततः नौ रन से जीत हासिल हो गई। दूसरी ओर भारतीय टीम प्रोटेस बल्लेबाजों और गेंदबाजों के खिलाफ किसी खास योजना पर काम करती नहीं दिखी।
लाल मिट्टी की पिच पर तेज गेंदबाजों को स्विंग तो उतनी नहीं मिल रही थी, लेकिन स्पिन गेंदबाजों के लिए यह खासा आदर्श विकेट रहा। गेंदें तेजी से घूम रही थीं और अतिरिक्त उछाल भी मिल रहा था। भारतीय कप्तान शिखर धवन ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी। भारत के तेज गेंदबाजी आक्रमण में अनुभव की कमी दिखी। मोहम्मद सिराज ने 11 और आवेश खान ने तीन एक दिनी अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं। इनमें शार्दूल ठाकुर सबसे ज्यादा 25 मैच खेल चुके हैं। शार्दूल को छोड़कर अन्य दोनों गेंदबाज पिच की उछाल का सही इस्तेमाल नहीं कर पाए। तेज और उठती गेंदों को खेलने मे माहिर दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों ने इसका बखूबी फायदा उठाया। हालांकि इस दौरान भारतीय टीम ने दयनीय क्षेत्ररक्षण का भी मुजाहिरा किया। कुछ महत्वपूर्ण कैच भी छोड़े गए।
भारतीय स्पिनर भी घूमती पिच का लाभ उठाने में नाकामयाब रहे। खासकर 70 मैचों का पर्याप्त अनुभव रखने वाले कुलदीप यादव ने खासा निराश किया। रवि बिश्नोई पहला एक दिनी अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे थे। दक्षिण अफ्रीका की जीत की नींव रखने वाले डेविड मिलर और हेनरिक क्लासेन ने भारतीय स्पिनरों के खिलाफ स्वीप और रिवर्स स्वीप का हथियार चलाया और सफल भी रहे। इससे दबाव में आकर खासकर बिश्नोई ने शॉर्ट गेंदें भी फेकीं, जिनपर खूब रन बने। बिश्नोई ने चार वाइड और एक नोबॉल भी की।
इसके विपरीत ऊपरी क्रम के भारतीय बल्लेबाजों में दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजी का तोड़ नहीं दिखा। शिखर धवन और शुभमन गिल सस्ते में आउट हुए तो रन रेट जैसे थम सा गया। 18वें ओवर तक यह तीन रन प्रति ओवर से भी कम रहा। इसकी बड़ी वजह यह थी कि कैगिसो रबाडा, वैन पार्नेल और केशव महाराज ने पिच के स्वभाव के अनुरूप काफी सधी गेंदबाजी की। उछाल लेती गुड लेंग्थ गेंदों के सामने भारतीय बल्लेबाज असहाय थे।
केशव ने जब किशन को अपने जाल में फंसाया
भारत के बाएं हाथ के बल्लेबाज इशान किशन स्पिन गेंदबाजी खासकर केशव महाराज की गेंदों पर काफी असहज थे। ऑफ स्टम्प के बाहर से घूमकर लेग स्टम्प और इसके बाहर जा रही गेंदों पर केशव ने खूब परेशान किया। इशान किशन को ऐसी गेंदों को पुल करके रन जुटाने में महारत हासिल है, लेकिन केशव महाराज ने गेंदों की लंबाई ऐसी रखी कि किशन स्ट्रोक नहीं खेल पा रहे थे। इसके बाद केशव महाराज ने किशन के लिए लेग स्लिप लगा ली, क्योंकि इससे पहले दो बार किशन ऑफ स्टम्प से घूम रही गेंदों पर चूके थे। आखिरकार केशव की रणनीति कारगर साबित हुई और किशन लेग स्लिप में ही कैच देकर आउट हो गए।