आर. संजय
इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के तीसरे और अंतिम टी-20 मैच में भारत की हार पचने वाली नहीं है। बड़े स्कोर का पीछा करते हुए शुरुआती झटकों के बाद सूर्यकुमार यादव और कुछ हद तक श्रेयस अय्यर ने टीम को बेहतर स्थिति में ला दिया था। पहले ही ओवर से 10.7 रन की गति से लक्ष्य का पीछा करना था।
शुरुआत में धीमी बल्लेबाजी और इसके बाद रोहित शर्मा, ऋषभ पंत और विराट कोहली के विकेट गिरने से वांछित रन रेट के साथ ही दबाव बढ़ गया। ऐसे समय में सूर्यकुमार और श्रेयस ने जिस सूझबूझ और तकनीक के साथ बल्लेबाजी की, उसकी जितनी तारीफ की जाय कम होगी। सूर्यकुमार ने पिच पर सही पोजीशन बनाते हुए लगभग हर गेंद को उस दिशा में मारा, जिधर बाउंड्री छोटी थी। सूर्यकुमार का खेल देखकर ऐसा लगा कि इस पिच पर बल्लेबाजी करना काफी आसान काम है। हालांकि श्रेयस अय्यर को खेलने में परेशानी हो रही थी, फिर भी वह सूर्यकुमार के साथ 61 गेंदों पर 119 रन की साझेदारी कर गये।
श्रेयस का विकेट 150 रन के स्कोर पर 16वें ओवर की पहली गेंद पर गिरा। यहां से भारत को मैच जीतने के लिए 29 गेंदों पर 67 रन बनाने थे। इसी समय क्रीज पर आए थे, फिनिशर के रूप में टीम में जगह बनाने वाले दिनेश कार्तिक लक्ष्य असंभव तो क्या बहुत मुश्किल नहीं था। हर ओवर में लगभग 15 रन बनाने थे। टी-20 मैचों के डेथ ओवरों में इतने रन अक्सर बनते हैं। दिनेश कार्तिक पहले भी भारतीय टीम को ऐसे मौकों पर मैच जिता चुके हैं। खासकर आईपीएल में उनकी इसी खूबी के चलते भारतीय टीम में उनकी वापसी हुई थी। कार्तिक सात गेंदें खेलकर छह रन बना पाए, जिसमें एक चौका था। वैसे इस सीरीज में कार्तिक बल्ले से कुछ खास नहीं कर सके।
विश्वकप के लिए टीम की योजना में दिनेश कार्तिक प्रमुखता से शामिल हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें अपनी भूमिका को न सिर्फ याद रखना होगा, बल्कि मौका पड़ने पर उसमें खरा उतरकर भी दिखाना होगा।