आर. संजय़
नई दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम पर टीम इंडिया का प्रदर्शन खेल के तीनों पक्षों, बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण में मिला जुला रहा। जबरदस्त बल्लेबाजी के बाद दिशाहीन गेंदबाजी और लचर क्षेत्ररक्षण ने मैच जीतने की स्थिति से टीम इंडिया को पराजय की कगार पर ला खड़ा किया। ऐसे में यह लगना लाजिमी है कि कहीं टीम के युवा कप्तान और खिलाड़ी बड़े स्कोर के अतिआत्मविश्वास में तो नहीं आ गए।
जहां तक बल्लेबाजी का सवाल है। मुश्किल विकेट पर पहले बल्लेबाजी करते हुए 211 रन का स्कोर खड़ा करना निश्चित रूप से काबिलेतारीफ रहा। मैच शुरू होने से पहले दोनों ही कप्तानों की इच्छा इसपर पहले गेंदबाजी करने की थी। टॉस ने यह मौका दक्षिण अफ्रीकी कप्तान तेंबा बावुमा को दे दिया।
मैच में दोनों टीमों की ओर से सर्वाधिक व्यक्तिगत रन बनाने वाले भारतीय बल्लेबाज इशान किशन ने पारी के बाद कहा था कि हम 150 से 160 रन तक बनने की उम्मीद कर रहे थे। इशान ने यह भी कहा कि इस पिच पर गेंद को टाइम करना मुश्किल हो रहा था। हमने शुरुआत में कुछ गेंदें संभलकर खेलीं। गेंद की मेरिट के हिसाब से स्ट्रोक खेले दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों में विविधता भी काफी थी। इसके बावजूद 211 रन बनना काफी अच्छा रहा।
टीम इंडिया जब गेंदबाजी करने उतरी तो उसके पास काफी विकल्प दिखाई दे रहे थे। अनुभवी भुवनेश्वर कुमार ने अपने पहले दोनों ओवरों में महज सात रन देकर एक विकेट भी चटकाया। इसके बाद अन्य गेंदबाजों ने ऐसा प्रदर्शन नहीं दिखाया। उधर दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाज अपनी योजना के मुताबिक बल्लेबाजी कर रहे थे। एक बाएं हाथ का और एक दाएं हाथ का बल्लेबाज भारतीय गेंदबाजों की दिशा भटकाने में लगा रहा।
यहां बना सकते थे विपक्षी टीम पर दबाव
नवें ओवर में 81 रन पर तीसरा विकेट गिरने के बाद दक्षिण अफ्रीकी टीम पर दबाव बढ़ने लगा था। क्रीज पर दो नए बल्लेबाज डेविड मिलर और रासी वान डर डुसैन थे। डुसैन को शुरुआत में गेंदों को खेलने में काफी परेशानी हुई। यहीं पर टीम इंडिया की योजना में चूक हुई। यहां भुवनेश्वर कुमार को गेंदबाजी देनी चाहिए थी, लेकिन कप्तान ने चाहल, अक्षर और आवेश खान को आक्रमण पर लगाए रखा।
भारतीय गेंदबाजों ने विविधता का प्रदर्शन भी नहीं किया
दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजी के दौरान भारतीय गेंदबाजों को पिच से मदद मिलती नहीं दिख रही थी। गेंदें स्विंग और स्पिन दोनों ही नहीं हो रही थीं। ऐसे में एक प्रमुख हथियार धीमी गेंदों के रूप में असरदार साबित हो सकता था, लेकिन भारतीय गेंदबाज इसका इस्तेमाल करते नहीं दिखाई दिए और मैच हाथ से निकलता चला गया। ऊपर से श्रेयस अय्यर ने 29 रन के निजी स्कोर पर डुसैन का कैच छोड़कर दक्षिण अफ्रीकियों की राह और आसान कर दी।
हार्दिक पांड्या से गेंदबाजी न कराना समझ में नहीं आया
तीसरा विकेट गिरने के बाद दक्षिण अफ्रीका को 13 रन प्रति ओवर से ज्यादा के औसत से रन बनाने थे। तभी भारतीय गेंदबाजों ने फुलटॉस और शॉर्टपिच गेंदें फेकनी शुरू कर दीं। मिलर और डुसैन ने इनका भरपूर फायदा उठाया। 15वें ओवर तक दक्षिण अफ्रीका काफी अच्छी स्थिति में आ गया था। गेंदबाज पिट रहे थे और कप्तान पंत ने इस दौरान हार्दिक पांड्या की पूरी तरह अनदेखी कर दी। पांड्या ने आईपीएल में काफी अच्छी गेंदबाजी की थी। उन्होंने अपने एकमात्र ओवर में 18 रन दिये थे, लेकिन उनके जैसा गेंदबाज डेथ ओवरों में काफी कारगर साबित हो सकता था।
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