आर. संजय
अभी कुछ ही दिन हुए। खराब फॉर्म के चलते आलोचनाओं से घिरा एक बल्लेबाज क्रिकेट से कुछ दिन आराम लेकर यह सोचने में लगा था कि कैसे अपने प्रति लोगों की धारणाओं को पहले जैसा बनाया जाय। इस दौरान कुछ दिग्गज इस बल्लेबाज को टी-20 क्रिकेट से संन्यास लेने की सलाह तक दे चुके थे। इसे विश्व कप की योजनाओं से बाहर रखने की बात कही जा रही थी। यह कोई और नहीं, बल्कि वह विराट कोहली है, जिसने हर समय खुद पर छाए संकट का किसी योद्धा की तरह सामना किया और विजई होकर निकला।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मैच विनर के रूप में पहचान रखने वाले ऐसे किसी भी खिलाड़ी के लिए वे दिन घोर हताशा से भरे हो सकते हैं, जब उसे मैदान के बाहर से मैदान छोड़ने की सलाह दी जा रही हो। इन परिस्थितियों में मानसिक संतुलन बनाए रखना भी काफी कठिन होता है। खुद कोहली ने कहा था कि 30 दिन मैदान से दूर रहकर मैं यही सोचने में जुटा था कि किस तरह दोबारा अपने आप को उसी रूप में स्थापित किया जाय।
वह मौका आया यूएई में इसी साल हुए एशिया कप टी-20 टूर्नामेंट में। इसमें अफगानिस्तान के खिलाफ खेली विराट की 122 रन की पारी ने उन्हें संजीवनी दे दी। यह न सिर्फ टी-20 क्रिकेट में उनका पहला शतक रहा, बल्कि 2018 के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनाई पहली सेंचुरी रही। उस टूर्नामेंट में हालांकि भारत फाइनल में नहीं पहुंच सका, लेकिन राहत यह रही कि “किंग कोहली” लौट आया था।
कैसे पलटा पासा
अब बात करें रविवार के उस मेगा मैच की, जिसमें 160 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए 17वें ओवर तक भारत जीत के आसपास भी नहीं दिख रहा था। क्रिकेट किस हद तक अनिश्चितताओं का खेल है, इसके अंतिम तीन ओवरों में साक्षात दर्शन हुए। 18 गेंदें और 48 रन शेष। हालांकि इस समय तक विराट कोहली और हार्दिक पांड्या ने यह जरूर एहसास करा दिया था कि जीते नहीं तो भी जीत के करीब तक तो पहुंच ही जाएंगे। हार होगी भी तो बड़े मामूली अंतर से। इसके बाद 18वें और 19वें ओवर ने जो नजारा बदला उसने भारतीय प्रशंसकों की आवाज बुलंद कर दी। मैच का अंतिम ओवर शायद पाकिस्तानी कभी याद रखना चाहें।
आप वाकई महान खिलाड़ी हैं
मैच के बाद भारतीय ड्रेसिंग रूम का नजारा बेहद भावुक रहा। कप्तान रोहित शर्मा जैसे विश्वास ही नहीं कर पा रहे थे कि मैच जीत गए हैं। भिंचे होठों और भीगी आंखों से अपने दिल की दास्तां बयां कर रहे थे। बाद में कोच राहुल द्रविड़ ने जिस अपनेपन के अंदाज से कोहली को गले लगाया, लगा, शायद यही कह रहे हों, “तारीफ करूं क्या उसकी, जिसने तुम्हें बनाया”।
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