आर. संजय
बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में पांच रन की पराजय निश्चित रूप से खलने वाली है। वह भी तब, जब जीत बिल्कुल सामने खड़ी हो। हार और जीत के कई कारण हो सकते हैं। खासकर हारने की स्थिति में पूरी टीम के हर खिलाड़ी का आकलन होने लगता है। शुरुआत में या बीच के ओवरों में अच्छी स्थिति के बावजूद खिलाड़ी गलती करते हैं, तो उन्हें कोसा जाता है। अक्सर हार के लिए भी वही जिम्मेदार मान लिए जाते हैं। इस मैच में भी ऐसा ही कुछ हुआ।
बांग्लादेश ने 69 रन पर छह विकेट गंवाने के बाद 271 रन का स्कोर खड़ा किया। भारतीय टीम की कहानी भी कुछ इसी तरह शुरू हुई। ऊपर के चार दिग्गज बल्लेबाज असफलता की नई कहानी लिखते चले गए। विराट कोहली, शिखर धवन, केएल राहुल तो उस स्तर पर हैं, जहां उनसे पिछली गलतियां दोहराने की उम्मीद नहीं की जा सकती। फिर भी ऐसा हुआ। न्यूजीलैंड में धाक जमाने वाले वॉशिंगटन सुंदर भी बल्लेबाजी में खास नहीं कर सके।
फिर बीच में श्रेयस अय्यर और अक्षर पटेल की साझेदारी शुरू हुई। इन दोनों ने 100 रन जोड़ कर भारत के लिए पांचवें विकेट के लिए साझेदारी का महेंद्र सिंह धौनी और सुरेश रैना का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। 166 के स्कोर पर श्रेयस ने छक्का जड़ा और वांछित रन गति को लगभग छह रन प्रति ओवर तक ले आए। यह पारी के 35वें ओवर की पांचवीं गेंद थी। अंतिम गेंद पर श्रेयस चाहते तो एक रन लेकर छोर बदल सकते थे, लेकिन उन्होंने फिर एक छक्का लगाने का प्रयास किया और आउट हो गए। निश्चित है कि भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों ने उन्हें काफी कोसा होगा।
अक्षर पटेल ने करियर का दूसरा एक दिनी अर्धशतक पूरा किया। फिर तीन विकेट जल्दी-जल्दी गिरे। अक्षर, शार्दूल और दीपक चाहर ने 97 गेंदों पर कुल 74 रन बनाए। इसमें अक्षर के 56 रन थे। दीपक चाहर जब आउट हुए तो भारत को जीतने के लिए 29 गेंदों में 59 रन बनाने थे। चोटिल रोहित शर्मा नवें क्रम पर बल्लेबाजी करने उतरे थे। अब उनके साथ सिर्फ मोहम्मद सिराज और उमरान मलिक ही थे।
रोहित ने भरसक प्रयास किया टीम को जीत की मंजिल तक ले जाने के लिए। इसी दौरान सिराज ने 49वें ओवर की अंतिम गेंद पर आउट होने तक 12 गेंदें खेलीं और सिर्फ दो रन बनाए। खासकर 48वें ओवर में महमूदुल्ला की पांच गेंदों वह सिर्फ बल्ला चलाते रह गए। एक भी गेंद बल्ले पर नहीं आई। यहां रोहित को भी उन्हें समझाना था कि एक रन लेकर स्ट्राइक दो। शायद ऐसा हुआ भी हो, लेकिन जब मैच का परिणाम निकला तो यही समझ में आया कि ये नौ डॉट गेंदें भारत की हार का प्रमुख कारण बन गईं।