आर. संजय
कहते हैं कि जीत कमियों और गलतियों को ढक लेती है। सही भी है, क्योंकि इसका जश्न तो सभी मिलकर मनाते हैं। पर, बहस तो रुक नहीं सकती, क्योंकि बहस रुक गई तो फिर सुधार की गुंजाइश ही खत्म हो जाएगी।

इंग्लैंड के खिलाफ रविवार को मैनचेस्टर में ऋषभ पंत और हार्दिक पांड्या पूरे शबाब पर थे। इन दोनों ने सिर्फ मैच ही नहीं जिताया, बल्कि यह सबक भी दिया कि दबाव के क्षण किस तरह से निकाले जाते हैं। भारत की पारी में पंत जब 18 रन के निजी स्कोर पर क्रीज के बाहर निकलकर मोइन अली की गेंद चूक गए तो मैच देख रहे सभी भारतीय प्रशंसकों के दिल बैठ गए। यह दुर्भाग्य इंग्लैंड की टीम का था कि विकेटकीपर कप्तान बटलर पंत को स्टंप नहीं कर पाए।
इस एक गलती के बाद पंत ने जो पारी खेली, वह अद्भुत रही। उन्होंने वे गलतियां नहीं कीं, जो पिछले कई मैचों में करते रहे हैं। साफ था कि पंत पूरे होमवर्क के साथ क्रीज पर उतरे थे। लॉर्ड्स में खेले गए पिछले मैच और इसके पहले के कुछ मैचों के वीडियो उन्होंने देखे होंगे। कोच ने भी उन्हें उनकी गलतियां बताई होंगी। इसे सुधारने के तरीके बताए होंगे। जाहिर है, परदे के पीछे हुई प्रक्रिया को पंत ने अमल में उतारा। पंत का बयान, कि एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का यह पहला शतक जीवन भर याद रहेगा, यह उम्मीद जगाता है कि आगे के मैचों में वे अपनी गलतियों को लगातार दुरुस्त करते रहेंगे।
हार्दिक पांड्या सही मायनों में खुद को बेहतर ऑलराउंडर साबित करते जा रहे हैं। उनके करियर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा चोटों की वजह से खराब हो चुका है, लेकिन गेंद और बल्ले दोनों से उन्होंने हमेशा प्रभावित किया है। अगर यह कहा जाय कि भारत के पास नये युग में एक और कपिलदेव है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
अब बात करें उन घटनाओं की जो इस जश्न को थोड़ा पिघलाती हैं। मौजूदा भारतीय टीम के सबसे अनुभवी बल्लेबाज विराट कोहली पिछली गलतियों का सबक अबतक हासिल नहीं कर सके हैं। इसका कारण क्या है, यह तो कोहली ही बेहतर जानते होंगे। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज की ऑफ या मिडिल स्टंप पर शॉर्ट ऑफ लेंग्थ गेंद, जो कोण बनाकर ऑफ स्टंप से बाहर निकल रही है, कोई भी अनुभवी बल्लेबाज फ्रंट फुट पर शरीर से दूर इस गेंद को छेड़ने की गलती नहीं करेगा। विराट ने कल इस मैच में ऐसी एक दो गेंदों को बैकफुट से खेला और सफल रहे। ऑन साइड में भी उनके एक-दो स्ट्रोक पुराने विराट की वापसी का संकेत देने लगे, लेकिन जैसे ही वह कोण बनाती गेंद को फ्रंटफुट पर शरीर से दूर खेलने गए, नतीजा सामने आ गया।
विराट को अब यह समझना चाहिए कि वह उम्र के उस पड़ाव पर हैं, जहां से खिलाड़ी संन्यास की योजनाएं बनाना शुरू कर देता है। इसके अलावा उनके विकल्प के तौर पर दीपक हुड्डा सरीखा खिलाड़ी लाइन में सबसे आगे खड़ा है। हुड्डा बल्ले के अलावा गेंद से भी कमाल कर सकते हैं। यह विराट को समझना होगा कि अगले साल भारत में होने वाले एक दिवसीय विश्वकप से पहले या तो वे अपनी गलतियों को पूरी तरह दुरुस्त कर लें, अन्यथा ऐसे ही चलता रहा तो टीम में उनकी जगह खतरे में दिखती है।
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