मुंबई। सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट का वह चेहरा हैं, जो शीर्ष पर पहुंचे और जब हटे तो साथ में कुछ विवाद लेकर। चाहे भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी हो या फिर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का अध्यक्ष पद। इसे गांगुली की नियति कह सकते हैं, लेकिन यह भी सही है कि दोनों ही रूपों में गांगुली भारतीय क्रिकेट का चेहरा बदलने में कामयाब रहे।

सौरव गांगुली की जगह बोर्ड अध्यक्ष का पद संभालने वाले रोजर बिन्नी भी इस बात से गुरेज नहीं करते। 1983 में भारतीय टीम की एक दिनी विश्व कप जीत में अहम भूमिका निभाने वाले इस ऑलराउंडर का कहना है कि गांगुली निश्चित तौर पर बड़ी शख्सियत हैं। उन्होंने भारतीय क्रिकेट में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए। जब वह कप्तान थे तो देश के बेहतरीन खिलाड़ी उनकी टीम का हिस्सा हुआ करते थे। इनके अलावा ऐसे भी खिलाड़ी थे, जो जीत के लिए जूझ सकते थे। बतौर कप्तान उनकी एकमात्र और सबसे बड़ी विफलता 2003 के एक दिवसीय विश्व कप के फाइनल में भारतीय टीम की पराजय रही। अन्यथा सौरव के नेतृत्व में भारत ने कई मैच जीते।
भारतीय क्रिकेट को योगदान के मामले में सौरव और बिन्नी दोनों ही काफी अहम हैं। 1983 की ऐतिहासिक विश्व कप जीत में बिन्नी ने गेंद और बल्ले दोनों की ही ताकत दिखाई थी। वह उस प्रतियोगिता में सबसे ज्यादा 18 विकेट लेने वाले गेंदबाज बने। दूसरी ओर सौरव गांगुली भारतीय टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में अबतक सबसे सफल कप्तान हैं।
बिन्नी ने कहा कि गांगुली ने न सिर्फ खेल का स्वरूप बदला, बल्कि एक नई सोच लेकर भी आए। वह युवा पीढ़ी के खिलाड़ियों के लिए हमेशा आदर्श बने रहेंगे। वह ऐसे शख्स हैं, जो हमेशा ऊंचाई की ओर देखते हैं। भारतीय क्रिकेट को हमेशा उनकी जरूरत रहेगी, क्योंकि वह ऐसे व्यक्ति हैं, जो रातों-रात तस्वीर बदलने की कला जानते हैं।