नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के “गब्बर” यानी शिखर धवन को बांसुरी बजाना काफी पसंद है। इससे उन्हें शांति मिलती है और वह तनावमुक्त होते हैं। उनका मानना है कि अध्यात्म में वह शक्ति है, जिसने मुझे काफी सकारात्मक बनाया है।
अपने करियर में काफी उतार-चढ़ाव देख चुके शिखर का कहना है कि मैंने अध्यात्म के जरिए ही खुद को हर परिस्थिति में शांत रखना सीखा है। इसके लिए काफी अभ्यास की जरूरत होती है। शिखर ने कहा कि मैं युवाओं को भी ध्यान लगाने के लिए प्रेरित करता हूं। हम सभी क्रिकेटरों का अपना सपना होता है और इन्हें पूरा करने के दबाव और तनाव भी होते हैं। ऐसे में नकारात्मक भाव को खुद से दूर रखने के लिए अध्यात्म का सहारा लेना होगा। मैं कोशिश करता हूं कि हमेशा सकारात्मक ही रहूं।
शिखर धवन इस समय जिस दौर से गुजर रहे हैं, उसमें कोई भी खिलाड़ी आत्मविश्वास खो सकता है। शिखर भारतीय टीम के लिए सिर्फ 50 ओवरों के मैचों में ही खेल रहे हैं। हालांकि धवन कहते हैं कि मुझे क्रिकेट का यह प्रारूप काफी अच्छा लगता है। मैंने वेस्टइंडीज दौरे पर इसका भरपूर लुत्फ उठाया। हमने वह सीरीज 3-0 से जीती।
धवन जिम्बाब्वे के खिलाफ एक दिवसीय मैचों की सीरीज में भारतीय टीम का हिस्सा हैं। वह लगभग नौ साल बाद वहां गए हैं। 2013 में खेली गई सीरीज के दूसरे मैच में उनकी 116 रन की पारी काफी यादगार रही, जिसकी वजह से भारत ने मैच जीता था। धवन को उम्मीद है कि मौजूदा सीरीज में वह और बेहतर प्रदर्शन करेंगे।