नॉटिंघम। इंग्लैंड के खिलाफ भारत रविवार को यहां भले ही सीरीज का तीसरा और अंतिम टी-20 मैच हार गया, लेकिन यह हार किसी जीत से कम नहीं थी। सूर्यकुमार यादव के प्रचंड प्रहारों ने अंग्रेज टीम की हालत पतली कर दी थी। एक छोर थामे यह खिलाड़ी अकेला लड़ता रहा। दूसरे छोर से विकेट गिरते रहे, लेकिन सूर्यकुमार पर कोई असर नहीं पड़ा। भारत की ओर से टी-20 क्रिकेट में शतक जमाने वाले पांचवें बल्लेबाज का रुतबा इसी मैच में हासिल करने वाले सूर्यकुमार ने तकनीक और रणनीति का अद्भुत प्रदर्शन किया। एक समय भारतीय टीम 150 रन के आसपास पहुंचती नहीं दिख रही थी, लेकिन सूर्या के प्रहालों से यह जीत के काफी करीब पहुंच गई। इंग्लैंड के 214 रनों के जवाब में भारत ने 20 ओवर में नौ विकेट पर 198 रन बनाए। इंग्लैंड ने यह मैच 17 रन से जीता और भारत ने सीरीज 2-1 से जीत ली।
संकट में फंसी टीम को सूर्यकुमार और श्रेयस अय्यर ने काफी हद तक उबारा। इन दोनों ने चौथे विकेट के लिए 116 रन जोड़े। श्रेयस के आउट होने के बाद दिनेश कार्तिक और रवींद्र जडेजा आने-जाने में लगे रहे। इस दौरान सूर्यकुमार ने शतक पूरा किया। 12 गेंदों पर 40 रन बनाने थे। 19वें ओवर में सूर्यकुमार ने मोइन अली की गेंद पर दो चौके और एक छक्का लगाकर उम्मीदें जिंदा रखीं, लेकिन पांचवीं गेंद पर आखिर उनकी बेमिसाल पारी का अंत हो गया। सूर्या ने सिर्फ 55 गेंदों पर 14 चौके और छह छक्के की मदद से 117 रन बनाए। वह भारत की ओर से टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच में शतक जमाने वाले पांचवें बल्लेबाज बने। अंतिम ओवर में 21 रन बनाने थे।
ऋषभ पंत और विराट कोहली ने एक बार फिर निराश किया। ये दोनों खुद चयनकर्ताओं को विवश कर रहे हैं कि इन्हें विश्वकप की योजना से बाहर कर दिया जाय। कोहली तो लगता है कि कॉम्प्लेक्स का शिकार हो गए हैं। बेहतरीन चौका और फिर छक्का लगाने के बाद उनके जैसे अनुभवी बल्लेबाज को थोड़ा ठहरना चाहिए था, लेकिन जबरदस्ती गेंद को हिट करके विकेट गंवा बैठे। रोहित और सूर्यकुमार पर तेजी से रन जुटाने की जिम्मेदारी थी, लेकिन अंग्रेज गेंदबाज आज ज्यादा सटीक थे। रोहित 11 रन बनाने के बाद रीस टोप्ले की धीमी गेंद पर मिडविकेट पर कैच दे बैठे। पावर प्ले के छह ओवरों में भारत ने तीन विकेट पर 34 रन बनाए। इंग्लैंड का स्कोर इतने ओवरों में एक विकेट पर 52 रन बनाए थे।
बदले हुए भारतीय गेंदबाजी आक्रमण के सामने रविवार को इंग्लैंड की बल्लेबाजी भी बदली नजर आई। भुवनेश्वर कुमार, जसप्रीत बुमराह, हार्दिक पांड्या और युज्वेंद्रा चाहल की गैर मौजूदगी में अंग्रेजों ने खुलकर बल्लेबाजी की। ऐसा नहीं है कि भारतीय गेंदबाजों ने बेहद खराब गेंदें डालीं, लेकिन उन्हें मैदान पर एक अनुभवी गेंदबाज की जरूरत थी, जो उन्हें सही सलाह दे सके। इसके चलते इंग्लैंड सीरीज में पहली बार दो सौ रन का आंकड़ा पार कर गया। इंग्लैंड ने छह विकेट पर 215 रन बनाए।
आवेश खान, उमरान मलिक, रवि बिश्नोई इस शृंखला में पहली बार मैदान पर उतरे। आवेश और मलिक की गेंदों में तेजी तो थी, लेकिन वह स्विंग नहीं थी, जो बुमराह और भुवनेश्वर की गेंदों में दिखती है। वैरिएशन भी ज्यादा नहीं था। पिछले दो मैचों में गेंद समझने में जुटे जेसन रॉय ने भी कुछ हाथ खोले, लेकिन बहुत लंबी पारी नहीं खेल सके। डेविड मलान ने इंग्लैंड की बल्लेबाजी को काफी सहारा दिया। उन्होंने टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 12वां अर्धशतक जड़ा। मलान ने छह चौके और पांच चौके की मदद से 39 गेंदों पर 77 रन ठोक दिए।
आवेश खान ने अपने पहले दो ओवरों में छह रन देकर एक विकेट लिया था, लेकिन अगले दो ओवरों में वह 37 रन लुटा बैठे। जडेजा के चार ओवरों में 45, हर्षल पटेल ने चार ओवर में 35 और सबसे किफायती गेंदबाजी करने वाले बिश्नोई ने चार ओवर में 30 रन दिए। बिश्नोई और हर्षल को दो-दो विकेट मिले। उमरान मलिक सिर्फ तेजी निकालने में लगे रहे। इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। उमरान के चार ओवरों में 56 रन बने और उन्होंने एक विकेट लिया।
रवींद्र जडेजा अपने अनुभव का इस्तेमाल नहीं कर सके। वह विकेटकीपर पंत की सलाह पर भी गेंदबाजी करते नजर आये। हां रवि बिश्नोई ने जरूर मौके से दो विकेट निकाले। उन्होंने अपने चौथे व अंतिम ओवर में पहले मलान और फिर खतरनाक मोइन अली को आउट किया। हालांकि इन दोनों के आउट होने के बाद लियाम लिविंग्स्टोन ने भी काफी आतिशबाजी की। 19वें ओवर में हर्षल पटेल की पहली गेंद पर मिडविकेट पर कोहली ने लिविंग्स्टोन का आसान केच गिरादिया। लिविंग्स्टोन उस समय 36 रन पर थे। लिविंग्स्टोन चार छक्कों की मदद से 42 रन बनाकर अविजित रहे।