आर. संजय
किसी भी क्रिकेट टीम में बाएं हाथ के खिलाड़ी का अलग ही महत्व होता है। बल्लेबाजी के समय दाएं और बाएं हाथ के दो खिलाड़ी क्रीज पर हों तो विपक्षी गेंदबाजों के लिए यह बड़ा सिरदर्द होता है। गेंदबाज अगर बाएं हाथ का, खासकर पेसर, हो तो अपनी कोणीय गेंदों से बल्लेबाजों को छका सकता है। यह काबीलियत भारत के बाएं हाथ के युवा तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह ने बखूबी दिखाई है।
भारत की ओर से खेलते हुए बाएं हाथ के तेज और स्पिन गेंदबाजों ने अपनी अहमियत साबित की है। पिछले दो दशक की बात करें तो आशीष नेहरा, जहीर खान, इरफान पठान जैसे बाएं हाथ के तेज गेंदबाजों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बोलबाला रहा है। जहीर खान और इरफान पठान ने 2012 के आसपास संन्यास ले लिया था। हालांकि नेहरा ने अपना आखिरी टी-20 मैच 2017 में खेला था, लेकिन इस मैच से उन्हें खासतौर पर मैदान से विदाई देने के लिए टीम में शामिल किया गया था।
यह कहा जा सकता है कि सीमित ओवरों के क्रिकेट में पिछले 10 साल से भारत को कोई स्तरीय तेज गेंदबाज नहीं मिला था। अर्शदीप इस खाई को भरने की कूवत रखते हैं। इसी साल जुलाई में टी-20 क्रिकेट में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण करने वाले छह फुट से ज्यादा लंबे अर्शदीप गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराने में माहिर हैं। इसके अलावा वह बल्लेबाज की क्षमताओं के मुताबिक भी गेंदबाजी कर सकते हैं। खासकर डेथ ओवरों में उन्होंने कमाल का नियंत्रण दिखाया है। एशिया कप से लेकर दक्षिण अफीका के खिलाफ बुधवार को हुए सीरीज के पहले मैच तक अर्शदीप अपनी खूबियों का भरपूर प्रदर्शन किया है।
अर्शदीप के आने से जसप्रीत बुमराह और भुवनेश्वर कुमार सरीखे गेंदबाजों को भी अतिरिक्त धार मिलेगी। हालांकि भुवनेश्वर ने हाल में खासा निराश किया है। बुमराह चोट से उबरने के बाद अभी लय हासिल करने में लगे हैं।
अगर टी-20 विश्व कप की बात की जाय तो वहां स्विंग गेंदबाजी के अनुकूल माहौल मिलेगा। भुवनेश्वर के पास स्विंग की कला काफी अच्छी है। उन्हें बस अपनी गेंदों की दिशा और लम्बाई पर नियंत्रण करने की जरूरत है। वैसे ऑस्ट्रेलियाई पिचों पर अर्शदीप काफी बेहतर गेंदबाजी कर सकते हैं। उम्मीद यही है कि वह विश्व कप में भारत के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं।