बर्मिंघम। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ राष्ट्रमंडल खेलों के हॉकी के फाइनल में भारतीय टीम बुरी तरह परास्त हुई। भारतीय खिलाड़ी लीग मैचों में किए प्रदर्शन का एक फीसदी भी फाइनल में नहीं दिखा सके। ऑस्ट्रेलिया का राष्ट्रमंडल खेलों में हॉकी का यह सातवां खिताब था। भारत को उसने तीसरी बार हराया। भारतीय टीम को 0-7 की हार से रजत पदक से संतुष्ट होना पड़ा।
ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों ने मैच पर शुरुआत से ही पकड़ बनाए रखी थी। ऑस्ट्रेलिया ने सात पेनाल्टी कॉर्नर हासिल किए और इनमें से दो पर गोल हुआ। भारतीय खिलाड़ी एक भी पेनाल्टी कॉर्नर हासिल नहीं कर सके। राहत की बात सिर्फ इतनी थी कि गोलकीपर श्रीजेश ने कुछ बेहद उम्दा बचाव किए, वरना गोलों की संख्या और अधिक हो सकती थी।
खेल ज्यादातर समय भारतीय पाले में ही खेला गया। कुछ मौकों पर भारतीय खिलाड़ियों ने आक्रमण जरूर किया, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई रक्षकों ने इन्हें विफल कर दिया। भारतीय आक्रमण में वह धार बिल्कुल नहीं दिखी, जो लीग मैचों में दिखाई दी थी।
भारतीय खिलाड़ी गेंद को सही तरीके से न तो पास कर पा रहे थे और न ही मिले हुए पास को हासिल करके तेजी से आक्रमण कर पा रहे थे। भारतीय खिलाड़ियों के सामने ऑस्ट्रेलिया ने एक तरह से चक्रव्यूह सा बना दिया था, जिसको तोड़ पाना अंततः असंभव साबित हुआ।