बर्मिंघम। पहली बार राष्ट्रमंडल गेम्स में खेलते हुए सिल्वर मेडल जीतना निश्चित तौर पर गर्व और खुशी की बात है। लेकिन यह भी सही है कि ऐसे मोड़ पर आकर सोना हाथ से फिसल गया, जहां से इसे हासिल करना काफी आसान हो गया था। पोडियम पर सिल्वर मेडल गले में पहनते हुए भारतीय महिला क्रिकेटरों के चेहरों पर खुशी दो दिखी पर इसके पीछे छिपा दर्द भी नजर आ रहा था।
ऑस्ट्रेलिया ने भारत को जो लक्ष्य दिया था, वह बहुत मुश्किल नहीं था। स्मृति मंधाना के फार्म को देखते हुए भारतीय प्रशंसक आश्वस्त थे कि आज क्रिकेट में भी स्वर्ण पदक हासिल होगा। मंधाना और शेफाली वर्मा ने शुरुआत भी उसी अंदाज में की। हालांकि इन दोनों ने जिस समय और जिस तरह से विकेट गंवाए, उसपर इनकी तकनीक और फार्म को देखते हुए यकीन करना मुश्किल है।
खैर, 22 रन के कुल स्कोर पर दो विकेट गिरने के बाद भारत को करीब आठ रन प्रति ओवर के औसत से रन बनाने थे। कप्तान हरमनप्रीत कौर और जेमिमा रोड्रिग्ज ने इस जिम्मेदारी को बखूबी संभाला। इन दोनों ने 71 गेंदों पर 96 रन जोड़कर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के चेहरों का रंग उड़ा दिया था। हालांकि जल्दी ही ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने खुद को संभालते हुए पहले जेमिमा, फिर पूजा वस्त्रकार और उसके बाद हरमनप्रीत को आउट कर जीत की ओर कदम बढ़ा दिये। यहां से भारतीय बल्लेबाजों पर दबाव बढ़ता गया और पूरी टीम तीन गेंद पहले ही लक्ष्य से नौ रन पीछे रहते हुए पैवेलियन लौट गई।