वाराणसी। राष्ट्रीय सेवा योजना की बीएचयू इकाई और आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ की ओर से महिलाओं के खिलाफ भेदभाव की रोकथाम पखवाड़ा के अंतर्गत राष्ट्रीय संवाद का आयोजन सोमवार को किया गया।
मुख्य वक्ता सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के विधिक सलाहकार आआर बाग ने कहा कि यदि हमें महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को रोकना है तो उन्हें सरकारी, गैर सरकारी और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों में समान रूप से रोजगार के अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है । उन्होंने मीडिया के क्षेत्र के साथ-साथ अन्य संगठनों में महिलाओं की सहभागिता के प्रतिशत पर चिंता व्यक्त की।
विशिष्ट अतिथि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रोहित पांडे ने कहा कि भारतीय संविधान द्वारा प्रदत अधिकारों के बारे में महिलाओं के बीच समुचित जानकारी दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने भारत सरकार द्वारा विभिन्न हेल्पलाइन और विधिक सहायता की विस्तृत जानकारी भी प्रदान की।
प्रो. विभा त्रिपाठी ने कहा कि समाज में हमें यह प्रेषित करने की आवश्यकता है कि समाज के लिए विकास के लिए स्त्री और पुरुष दोनों की समुचित सहभागिता अनिवार्य है।
राष्ट्रीय संवाद की अध्यक्षता अरुणोदय विश्वविद्यालय अरुणाचल प्रदेश के कुलपति प्रो. विश्वनाथ शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से हमने पिछले कुछ दशक में महिलाओं के खिलाफ भेदभाव की रोकथाम की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इसके लिए बहुत सारे नियम और कानून भी बनाए गए हैं, लेकिन अभी भी इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है। हमें विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय और सार्वजनिक जीवन में भी बालिकाओं और महिलाओं को सशक्त और जागरूक करने की आवश्यकता है।
अतिथियों का स्वागत आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ बीएचयू की अध्यक्ष प्रो. रश्मि चौधरी ने किया। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम समन्वयक डॉ. बाला लखेंद्र कर रहे थे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. नमिता जैन ने किया।
राष्ट्रीय संवाद में डॉ बिलंबिता बानी सुधा, डॉ. पंकज अरोड़ा, डॉ.पंकज मिश्रा, डॉ. स्नेहा त्रिपाठी सहित अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए।