वाराणसी। वेद भारत में समाजशास्त्रीय समन्वय, विभिन्नता और सामंजस्य का उत्कृष्ट उदाहरण हैं। साथ ही संस्कृत भारतीय परंपराओं का स्रोत है। दोनों एक साथ चलते हैं और किसी संगठन और समाज का अभिन्न हिस्सा हैं।
बीएचयू के महिला अध्ययन केंद्र की ओर से शनिवार को ’काशी विज्ञान एवं अध्यात्म‘ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संस्कृत एवं भारतीय अध्ययन के प्रो. हरिराम मिश्र ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि ज्ञान, विज्ञान और अध्यात्म के आधार पर चलकर हम सही दिशा में जा सकते हैं। अध्यक्षता करते हुए सामाजिक विज्ञान संकाय प्रमुख प्रो. अरविंद कुमार जोशी ने अध्यात्म ज्ञान और परम्परा को स्पष्ट किया और काशी की परम्परा को विकासगामी संस्कृति से सम्बद्ध बताया। उन्होंने कहा कि काशी प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में बसती है। प्रत्येक भारतीय के लिए काशी दर्पण है।
अधिवक्ता मदन मोहन ने पुरातात्विक मंन्दिरों पर न्याय और सत्यता की बात की। आरम्भ में प्रो. निधि शर्मा, समन्वयक, महिला अध्ययन एवं विकास केन्द्र, ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया। अर्थशास्त्र विभाग के शोधछात्र मुकेश ने संचालन किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मीनाक्षी झा ने किया।