वाराणसी। इंडियन सोसाइटी ऑफ सेल बायोलॉजी के 45वें अखिल भारतीय सेल बायोलॉजी सम्मेलन का उद्घाटन सोसाइटी की अध्यक्ष डॉ. ज्योत्सना धवन और विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी और सम्मेलन की संयोजक प्रो. मधु तापड़िया ने संयुक्त रूप से बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में महामना की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुक्रवार को किया गया।
सम्मलेन के उद्घाटन सत्र में प्रो. अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि आज यह सोसाइटी भारत में सेल साइंस पर काम करने वाले वैज्ञानिकों के ज्ञान के आदान-प्रदान का एक सशक्त मंच है।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. ज्योत्सना धवन ने बताया कि एक सामान्य मनुष्य के शरीर का लगभग 30 प्रतिशत भाग स्केलेटल मांसपेशियों का बना होता है। ये मांसपेशियां शरीर को गतिमान और मेटाबोलिस्म को नियंत्रित करती हैं। इनमें किसी भी प्रकार का व्यवधान होने पर मांसपेशी स्टेम सेल इनका मरम्मत कर देती है। मांसपेशी स्टेम सेल अधिकांश समय सुशुप्तावस्था में होते हैं और आवश्यकता पड़ने पर इनकी मरम्मत करता है। वृद्धावस्था और रोगी होने की स्थिति में ये मांसपेशियां कमजोर पड़़ जाती हैं और ये मांसपेशी स्टेम सेल भी इनकी मरम्मत ठीक से नहीं कर पाती हैं। कुछ ऐसा ही न्यूरोमैस्कुलर रोगों में भी होता है।
प्रो. धवन ने कहा कि चूंकि मांसपेशी स्टेम सेल को तैयार होने में एक निश्चित समय लगता है, जबकि मांसपेशियों का गलन काफी तेज़ी से होता है। इसी
समस्या को दूर करने के लिए स्टेम सेल सेनेसेंस तकनीक का इस्तेमाल किया गया। उन्होंने प्रयोगशाला में किये गए परीक्षणों के आधार पर दिखाया कि कैसे इन मांसपेशी स्टेम सेल को तेज़ी से इस मरम्मत को करने के लिए तैयार किया जाता है।
प्रो. ज्योत्सना धवन सीएसआईआर-सीसीएमबी, हैदराबाद में एमेरिटस साइंटिस्ट हैं और प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक और इसरो के तीसरे चेयरमैन प्रो. सतीश धवन की बेटी हैं।
इसके अलावा चौदह अन्य व्याख्यान हुए जिनमें बताया गया की कोशिका साइंस की तकनीक को कैंसर सहित कई सारी बीमारियों के निदान में कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. ऋचा आर्य ने किया और धन्यवाद ज्ञापन प्रो. मधु तापडिया ने किया। इस अवसर पर प्रोफेसर एससी लखोटिया, प्रो. राजीव रमन, प्रो. जेके रॉय, प्रो. असीम मुखर्जी सहित विज्ञान संस्थान के शिक्षक उपस्थित थे।