वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य भैयाजी जोशी ने कहा कि भारतीय चिंतन को विज्ञान के रूप में रखते हुए जन सामान्य को पंच भूतों के प्रति श्रद्धा भाव रखने की परंपरा को विकसित करने की संकल्पना को धरातल पर लाना होगा।
बीएचयू स्थित कृषि विज्ञान संस्थान, भाउराव देवरस न्यास, भारतीय किसान संघ, अक्षय कृषि परिवार की ओर से संस्थान के शताब्दी सभागार में सुफलाम पृथ्वी तत्व पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में उनका यह भी कहना था कि संपूर्ण विश्व अभी भी भ्रमित हो दोराहे पर खड़ा है l पहला रास्ता आधुनिक विकास का है और दूसरा रास्ता मूलभूत जाने से समझौता न करते हुए विकास के मार्ग पर चलने का है l श्री जोशी ने कहा कि केवल पृथ्वी पर ही जड़ चेतन का अस्तित्व है। केवल भारतीय परिप्रेक्ष्य में ही सुजलाम सुफलाम शब्द का प्रयोग हुआ है।
उन्होंने कहा कि भारत का मानस बंद दरवाजों का नहीं है। हम दुनिया भर के विचारों का स्वागत करते हैं। मगर वह विचार जीव जगत के लिए हितकारी होना चाहिए। वर्तमान में नए तंत्र से हम दूसरों को भी अन्न देने में सक्षम हुए हैं, मगर दूसरी और भूमि के पोषण का प्रश्न भी हमारे सामने खड़ा हुआ है l भैया जी ने यह भी कहा कि हम आधुनिकता के पक्षधर हैं मगर मर्यादाओं का पालन करने वाले हैं, भारत जो विचार दुनिया को दे रहा है उन विचारों का जीता जागता नमूना भी दिखाई पड़ना चाहिए। हमें संघर्ष नहीं, बल्कि समन्वय के मार्ग से पृथ्वी की समस्याओं का समाधान करना है। दुनिया को मध्य मार्ग इसे सुवर्ण मध्य कहा गया है। ऐसे मार्ग पर चलाने वाला भारत हो ऐसा विश्वास है।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए भारत सरकार के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि आज पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन की चर्चा जोरों से है। इसके लिए मानव जाति ही जिम्मेदार है ऐसे परिस्थिति में किसी न किसी को आगे आकर सुधार करना ही होगा। भारत की संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांतों पर आधारित है। पूर्वजों के इस ज्ञान को और अधिक शक्ति प्रदान करने की आवश्यकता है। भारत में 12 स्थानों पर सुफलाम का सफल आयोजन हो चुका है। वर्तमान समय में प्रधानमंत्री भी पंच भूतों के संरक्षण हेतु भारत अथवा दुनिया के हर राजनीतिक मंच पर भारतीय ज्ञान को रख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि उत्पादन के संदर्भ में कई क्षेत्रों में भारत नंबर एक पर है, फिर भी हमें सरकार और समाज के साथ मिलकर पृथ्वी पर पड़ रहे दुष्प्रभाव को रोकने के संदर्भ में काम करना होगा। प्रधानमंत्री का पूरा ध्यान प्राकृतिक खेती पर है। जिस प्रकार दुनिया के राजनीतिक मंच पर योग को स्थापित किया गया और दुनिया ने उसे स्वीकार किया, इसी प्रकार से मोटे अनाज को भी मान्यता मिली है। वर्ष 2023 संयुक्त राष्ट्र संघ ने मोटे अनाज का वर्ष घोषित किया है। वर्तमान में जी-20 की अध्यक्षता भी भारत के पास है यह प्रसन्नता का विषय है। आने वाले वर्षों में वन अर्थ वन फैमिली वन फ्यूचर पर विमर्श होगा।
सत्पथाचार्य जगतगुरु ज्ञानेश्वर जी महाराज जी ने कहा कि वैदिक परम्परों में पांच तत्वों को महत्व दिया गया है। भूमि को माता कहा गया है, क्योंकि वो सबकी पोषक है दूसरी हमारी गौ माता है। यदि हम भू-माता और गौमाता की रक्षा नही करेंगे तो तमाम समस्याएं प्रकट होती रहेंगी। भूमि-पुत्र किसान, भूमि से जुड़ा रहता है; भूमि ही उसकी अन्नदाता है। इसीलिए हम भूमि के पांच तत्वों काकी समस्या को कम किया जा सकता है।
विषय स्थापना भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्रा ने किया। अध्यक्षता बीएचयू के कुलगुरु प्रो. वीके शुक्ला ने की। संचालन भाऊराव देवरस न्यास के राहुल ने तथा धन्यवाद ज्ञापन कृषि विज्ञान संस्थान के प्रो. राकेश सिंह ने किया।
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी, प्रख्यात उद्योगपति मनोज भाई सोलंकी, भाउराव देवरस न्यास के ओम प्रकाश गोयल कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. यशवंत सिंह, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय गौ सेवा प्रमुख अजीत प्रसाद महापात्रा, क्षेत्र कार्यवाह वीरेंद्र जायसवाल, समग्र ग्राम विकास के चंद्र मोहन सहित बड़ी संख्या में प्रोफेसर एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।