वाराणसी। शिक्षक को हमेशा सीखना चाहिए। वह एक अच्छा विद्यार्थी होता है और कुलपति को भी हमेशा कक्षाएं लेनी चाहिए। बिलासपुर स्थित गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने बीएचयू के यूजीसी ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट सेंटर में आयोजित पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के समापन समारोह में सोमवार को यह विचार रखे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. चक्रवाल ने कहा कि मैं स्वयं शिक्षक हूं और मेरा विश्वास है कि एक अध्यापक को शिक्षा की गुणवत्ता का ध्यान रखना चाहिए। हमें शिक्षा में परिवर्तन का अग्रदूत होना है। हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षा का स्तर बेहतर हो। हमें नदी के प्रवाह की तरह होना चाहिये। हम अध्यापकों के पास ज्ञान के सागर की कुछ बूदें होती हैं। हमारे सामने पूरा भविष्य है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे केंद्र के निदेशक प्रो. प्रवेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि अध्यापकों का अधिकतर समय युवाओं के साथ गुजरता है। शिक्षकों को विद्यार्थियों के साथ सहज, सरल एवं सरस रहना चाहिए। उन्होंने महामना का संदर्भ लेते हुए कहा कि हम सब महामना की गोद में बैठे हैं एवं हमे अपने संसार को साफ, सुन्दर एवं पवित्र बनाकर रखना चाहिए क्योंकि हमें फिर लौटकर आना है। उन्होंने कहा कि महामना ने पूरब एवं पश्चिम दोनों के सदगुणों को समन्वित कर विश्वविद्यालय की स्थापना का स्वप्न देखा था।
पाठ्यक्रम में डॉ. आरती चौघरी एवं डॉ. अजीत प्रताप सिंह ने विचार साझा किया। पाठ्यक्रम कार्यक्रम का संचालन बीएचयू के कंप्यूटर साइंस विभाग की डॉ. अंशुल शर्मा ने किया। अंत में प्राचीन भारतीय इतिहास विभाग की समन्वयक डॉ. अर्चना शर्मा ने धन्यवाद दिया।