वाराणसी। बीएचयू के संगीत एवं मंचकला संकाय में तीन दिन की कार्यशाला के दौरान 14 से 16 सितम्बर तक कथक और भरतनाट्यम की बारीकियां छात्र-छात्राओं को सिखाई गईं।
राष्ट्रीय कार्यशाला में कथक के छात्र- छात्राओं को विषय विशेषज्ञ लखनऊ घराने की वरिष्ठ कथक गुरु, पूर्व कुलपति भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ, प्रो. कुमकुमधर के निर्देशन में स्व. पंडित लच्छू महाराज द्वारा कृष्ण -लीला पर रचित कवित्त, लखनऊ घराने के गत-निकास एवं घूंघट के विशेष अंदाज सीखने का अवसर प्राप्त हुआ। कथक नृत्य के पारंपरिक शिक्षण-पद्धति की तकनीक को बारीकी से समझाया।
कार्यशाला में भरतनाट्यम के छात्र छात्राओं को विषय विशेषज्ञ तंजॏर घराने के गुरु ज्ञानेंद्र दत्त वाजपेयी, नृत्य -विभाग भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ से पधारे गुरु ने “पदम” राग-हुसैनी,ताल-रूपक, रचनाकार-वैदीश्वरम कोईल सुब्बाराम अय्यर, भाषा -तमिल में निबद्ब(पद) सिखाया एवं पंचदेव कौतुवम (विनायक, कार्तिकेय, सरस्वती, लक्ष्मी एवं शिव) राग-नाटै, ताल- एकम का भी प्रशिक्षण दिया। भरतनाट्यम कार्यशाला में डॉ. बी. सत्यवर प्रसाद ने मृदंग पर सहयोग दिया।
कथक कार्यशाला में तबले पर रामकुमार मिश्र एवं सिद्धार्थ चक्रवर्ती और हरमोनियम पर डॉ. विजय कपूर जी ने सहयोग दिया। त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला (भरतनाट्यम,कथक) में 180 प्रतिभागियों ने उपस्थिति दर्ज करायी।
कार्यशाला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि ओमप्रकाश मिश्र एवम् संकाय प्रमुख प्रो. के. शशिकुमार और नृत्य विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. दीपानविता सिंहा रॉय एवं संकाय परिवार के सभी शिक्षकगण उपस्थित रहे। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि महिला महाविद्यालय की नृत्य विभागाध्यक्ष प्रो. लयलीना भट, बनारस घराने के प्रख्यात कथक कलाकार पं. माता प्रसाद मिश्र थे। कार्यशाला के दौरान कथक विधा के विषय विशेषज्ञ प्रो. कुमकुमधर, लखनऊ घराने की वरिष्ठ कथक गुरु एवम पूर्व कुलपति भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ एवं भरतनाट्यम विधा के विषय विशेषज्ञ ज्ञानेंद्र दत्त वाजपेयी, तंजॏर घराने के भरतनाट्यम नृत्य के गुरु एवं कलाकार, भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ थे। उद्घाटन सत्र में डॉ. विधि नागर, प्रो. शारदा वेलंकर,डॉ. प्रवीण उद्धव, प्रो. स्वर वंदना शर्मा उपस्थित रहें।