वाराणसी। बीएचयू के डेयरी विभाग में छात्र-छात्राओं ने डेयरी उत्पादों के जरिए स्वरोजगार की संभावनाएं तलाशी हैं। उन्हें इन उत्पादों से आय हासिल करने के तरीकों के साथ ही उद्यमिता के गुण भी सिखाए गए।
तीन माह तक चले प्रशिक्षण कार्यक्रम में कृषि विज्ञान संस्थान के बीएससी (कृषि) अंतिम वर्ष के 35 छात्र-छात्राएं शामिल हुईं। प्रशिक्षण सप्ताह में तीन दिन दिया गया। इन्हें पेड़ा, (महामना प्रसादमद्), आइसक्रीम, श्रीखंड, रसगुल्ला, गुलाब जामुन, कलाकंद एवं गुजिया बनाना एवं इनकी बिक्री करना सिखाया गया।। छात्रों ने स्वयं कच्चे माल की खरीद, प्रसंस्करण एवं उत्पादन से लेकर और अन्य सभी गतिविधियों का प्रबंधन किया। उत्पादन की इस प्रक्रिया में छात्रों ने स्वंय को तीन समूहों में वर्गीकृत किया गया। कच्चा माल की खरीद एवं उत्पादन, पैकेजिंग और विपणन उत्पादों को उपभोक्ताओं के लिए आकर्षण बनाने हेतु उचित लेबलिंग के साथ स्वच्छ वातावरण में पैक कराया गया। उत्पादों की वैक्यूम पैकेजिंग की गयी ताकि इन्हें ज्यादा समय तक ताजा रखा जा सके।
प्रायोगिक इकाई में तैयार किये गये सभी उत्पाद बीएचयू परिसर में विश्वनाथ मंदिर शिक्षक फलैट विभिन्न छात्रावासों एवं संकायों में खुदरा विक्रय किया गया। उत्पाद की गुणवता और सेवाओं में सुधार के लिए उपभोक्ताओं के साथ-साथ हिस्सेदारों की भी प्रतिक्रिया ली गयी। इस कोर्स के माध्यम से छात्रों में टीम वर्क, टीम नेतृत्व निर्णय क्षमता के साथ डेयरी एवं खाद्य क्षेत्र में उद्यमिता विकास से लाभान्वित किया गया। छात्रों ने भी इस माड्यूल के माध्यम के विकसित उत्पादों को बेचकर पर्याप्त मात्रा में लाभ अर्जित किया।
सत्र के समापन दिवस पर दुग्ध विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेश चन्द्र राय ने अर्जित लाभ को छात्रों में वितरित किया। प्रो. राय ने छात्रों के कार्य की सराहना की और उन्हें इस क्षेत्र में पेशेवर उद्यमिता के लिए प्रेरित किया। प्रो. राय ने पाठ्यक्रम प्रशिक्षक एवं सलाहकार डॉ. तरुण वर्मा एवं सुनील मीना के साथ ग्राहकों द्वारा उच्च मांग एवं उत्कृष्ट समीक्षा को ध्यान में रखते हुए अगले सत्र से और अधिक व्यवसायीकरण करने की इच्छा व्यक्त की। प्रयोगात्मक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के इस कार्य को आईसीएआर भारत सरकार द्वारा छात्रों को उद्यमिता कौशल की दृष्टि से सार्थक बनाने के उदेश्य से किया गया।