वाराणसी। बीएचयू के आन्तरिक शिकायत प्रकोष्ठ की ओर से शनिवार को स्वतन्त्रता भवन के सीनेट हाल में ‘‘कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न के प्रति संवेदीकरण एवं जागरुकता‘‘ कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि पदमश्री प्रो. कमलाकर त्रिपाठी ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में लोगो में संस्कृति एवं संस्कार के प्रति सकारात्मक भावना जागृत करनी होगी तथा उन्हें आध्यात्म की ओर ले जाना होगा। इससे लैगिक उत्पीड़न जैसी बुराईयों से समाज को बचाया जा सके।
उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता आवश्यक है, लेकिन यह अपनी मर्यादा में होनी चाहिए, ताकि लोग अभिव्यक्ति से आहत न हो। उन्होने कहा कि महिलाएं वर्षों तक पूरी रात कॉल सेन्टर जैसे उपक्रमों में काम करती हैं, जो उचित नही है। इनकी कार्यशैली पर विचार जरूरी है। आज कार्य संस्कृति में भी बदलाव की जरूरत है।
विशिष्ट अतिथि एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने कहा कि लैंगिक उत्पीड़न का प्रथम प्रकरण राजस्थान के भंवरी देवी के मामले से सुर्खियो में आया। भंवरी देवी गैर शासकीय संगठन वीमेन डेवलपमेन्ट प्रोजेक्ट में काम करती थीं, उन्होने एनजीओ विशाखा द्वारा महिलाओ के हित में किए जा रहे कार्यो का भी उल्लेख किया। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा कि इसका उद्देश्य अपीलकर्ता को सूचना स्वतः मिले। कुलसचिव ने कहा कि समाज में कुछ बोल-चाल की भाषा कुछ स्थानों पर लोकप्रिय लगती है जबकि कई स्थानों पर खराब लगती है। उन्होने कहा कि कार्य स्थल पर महिलाओ के साथ व्यवहार व बात-चीत में मर्यादा का ध्यान रखना नितान्त आवश्यक है।
आन्तरिक शिकायत प्रकोष्ठ की चेयरपर्सन प्रो. कविता शाह एवं सदस्य प्रो. जे.पी. राय ने लैगिक उत्पीड़न अधिनियम के सम्बन्ध में विस्तार से नियमों एवं परिनियमो के सम्बन्ध में जानकारी दी। प्रो. कविता शाह ने कार्यक्रम के आरम्भ में अतिथियों का अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेट कर सम्मान किया। संचालन पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान की शोध छात्रा डॉ. चित्रा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रो. श्वेता प्रसाद ने दिया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रो. जेपी राय डॉ. वेणु गोपाल झंवर, ममता रानी चौधरी, पुलिस उपायुक्त, सदस्य आईसीसी ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के बारे में अपने-अपने दृष्टिकोण साझा किये। इसके पश्चात् प्रो. गोपेश्वर नारायन की मध्यस्थता में खुले मंच का आयोजन किया गया। मोहिनी झंवर, प्रो. संगीता सिंह, प्रो. श्वेता प्रसाद, प्रो. सुमन जैन ने विचार रखे।
समापन सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. मधुलिका अग्रवाल, संकाय प्रमुख, विज्ञान संकाय एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. अभय कुमार ठाकुर, वित्ताधिकारी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किया। प्रतिभागी डॉ. स्वाति अग्रवाल ने इस कार्यक्रम के अपने अनुभव साझा किए। डॉ. राजेश श्रीवास्तव, सदस्य सचिव, आईसीसी ने धन्यवाद दिया।