वाराणसी। संल्लेखना का अर्थ है चैतन्य अवस्था में अपने प्राणों का त्याग करना अर्थात् जब ऐसी परिस्थिति समक्ष हो जब प्राणों की रक्षा करना असंभव हो या इस तरह की परिस्थिति जब मृत्यु सामने हो और शरीर का छूटना निश्चित हो ऐसी स्थिति में अपने नियमों के पालन की रक्षा के लिए पूर्ण चैतन्य अवस्था में शरीर का त्याग करना जैनदर्शन में संल्लेखना की व्यवस्था है। मृत्यु तो अवश्यंभावी है किंतु सजगतापूर्वक शरीर को छोड़ना संल्लेखना है।
भगवान श्रेयांसनाथ जैन निधि, बीएचयू की ओर से आयोजित संगोष्ठी में विद्वानों ने यह बात कही। उद्घाटन सत्र में प्रो. मुकुल राज मेहता ने मंगलाचरण के उपरान्त अतिथियों का स्वागत किया। प्रो. जेबी शाह ने मुख्य वक्तव्य दिया तथा दिल्ली से ऑनलाइन प्रो. गया चरण पाण्डेय ने अध्यक्षीय उद्बोधन दिया। प्रथम अकादमिक सत्र का संचालन डॉ. माना अपूर्वा शाह ने किया तथा अध्यक्षता प्रो. कुसुम जैन ने की।
इस सत्र में पांच शोध-पत्र पढे गये। डॉ. सुजीत प्रताप, डॉ. दीपान्विता सिन्हा रॉय, डॉ. सिद्धिदात्री भारद्वाज, सिद्धान्त जैन, डॉ. अरविन्द जायसवाल ने इस सत्र में पत्र वाचन किया। द्वितीय अकादमिक सत्र सिद्धान्त जैन द्वारा संचालित किया गया तथा इसकी अध्यक्षता प्रो. सुषमा सिंघवी ने की। इस सत्र में भी पांच शोध पत्रों को प्रस्तुत किया गया, जिसमें से दो पत्र वाचन ऑनलाइन माध्यम से अमेरिका और जर्मनी को शोध-विद्वानों ने किया। रिचा शाह, मिकी चेस, क्लेयर मेस, तेनजिन मिनक्यी, और डॉ. प्रियदर्शना जैन ने इस सत्र में अपने शोध-पत्रों के वाचन किए।
तृतीय सत्र प्रथम दिवस का अंतिम सत्र था, जिसका संचालन डॉ. अरविन्द जायसवाल तथा अध्यक्षता प्रो. मुकुल राज मेहता ने की। इस सत्र में प्रो. प्रद्युम्न शाह सिंह, डॉ. सुजाता रॉय, डॉ. पुलक गोयल, डॉ. आनन्द कुमार जैन और दिवाकर मौर्य ने शोध-पत्र पढे तथा सत्राध्यक्ष ने उन पर टिप्पणी एवं सुझाव दिया।
आयोजन के द्वितीय दिवस की शुरुआत जैन-अध्ययन की प्रासंगिकता, दशा और दिशा विषय पर केन्द्रित सम्मिलित चर्चा से हुई, जिसमें प्रतिभागी विद्वानों ने अत्यन्त ही उपयोगी सुझाव रखे। चतुर्थ अकादमिक सत्र का संचालन दिवाकर मौर्य द्वारा तथा अध्यक्षता प्रो. प्रदीप कुमार जैन ने की। इस सत्र में डॉ. राजीब लोचन बेहरा, डॉ. ममता तिवारी, प्रत्युश पाण्डेय, डॉ. विवेकानन्द जैन, व डॉ. गरिमा जैन ने शोध-पत्र वाचन किया तथा सत्राध्यक्ष ने अपने मन्तव्य रखे। पांचवे और अन्तिम अकादमिक सत्र को डॉ. आनन्द कुमार जैन ने संचालित किया। प्रो. प्रद्युम्न शाह सिंह ने इसकी अध्यक्षता की। प्रो. कुसुम जैन, प्रो, सुषमा सिंघवी एवं प्रो. मायाशंकर पाण्डेय ने शोध-पत्रों का वाचन किया।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. न्गावांग साम्तेन रहे तथा इसकी अध्यक्षता प्रो. जितेन्द्र बी. शाह ने की। अतिथियों का स्वागत प्रो. अशोक कुमार जैन ने किया तथा सेमिनार का रिपोर्ट डॉ. अरविन्द जायसवाल ने प्रस्तुत की। आखिर में सेमिनार के सह-समन्वयक डॉ. आनन्द कुमार जैन ने अतिथियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। तदुपरान्त समापन सत्र के संचालक तथा सेमिनार के समन्वक प्रो. प्रद्युम्न शाह सिंह ने समापन की घोषणा की।