वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अपने छात्रों के लिए एक अद्भुत योजना बनाई है। इसके मुताबिक बीएचयू प्रशासन ऐसे छात्रों को पढ़ने के लिए आर्थिक सहयोग देगा। उन्हें पढ़ाई पूरी करने के लिए 12 हजार रुपये सालाना दिए जाएंगे।
बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि कई मेधावी छात्र आर्थिक मजबूरी के चलते पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। ऐसे में विश्वविद्यालय उनके सहयोग में खड़ा हो रहा है। ऐसे छात्र, जिनकी पारिवारिक आय गरीबी की रेखा से कम है। अथवा जिन्होंने अपने उस अभिभावक को कोविड या किसी अन्य कारण से खो दिया हो, जिनपर पूरे परिवार को चलाने की जिम्मेदारी रही, इस योजना से लाभान्वित होंगे। छात्रों को दी जाने वाली राशि ब्याज मुक्त होगी। शिक्षा पूरी होने के बाद रोजगार पाने पर दो वर्ष में किश्तों में यह राशि लौटाई जा सकती है। आवेदन करने वाले विद्यार्थियों के पक्ष में विश्वविद्यालय को दो संकाय सदस्यों की अनुशंसा अनिवार्य होगी।
कुलपति ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अपने छात्रों से ही है और विश्वविद्यालय प्रशासन बीएचयू में शिक्षा पूरी करने में छात्रों को सहायता करने के लिए हर संभव क़दम उठाएगा। विद्यार्थियों के कल्याण में उनकी आर्थिक स्थिति रोड़ा नहीं बननी चाहिए। वित्तीय सहायता ऋण योजना विश्वविद्यालय की इसी प्रतिबद्धता का मूर्त रूप है। विद्यार्थियों को ये वित्तीय सहायता ब्याजमुक्त ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी, जिसका वे काशी हिन्दू विश्वविदयालय में अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात तथा रोज़गार मिलने पर भुगतान कर सकेंगे। फिलहाल 1000 विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ दिया जाएगा, जिसके लिए तकरीबन 200 आवेदन आए हैं, और इनमें से 103 आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है। छात्र अधिष्ठाता प्रो. केके सिंह ने बताया कि अधिक विद्यार्थियों को इस योजना का लाभ पंहुचाने के लिए जल्द ही एक और आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत की जाएगी। जो विद्यार्थी पहले से ही किसी और एजेंसी से आर्थिक मदद पा रहे हैं, उनके आवेदन पर उतनी राशि हेतु विचार किया जाएगा, जिससे कि यह 12000 रुपये से अधिक न पंहुचे। लाभार्थी विद्यार्थियों को मिलने वाली वित्तीय सहायता को उनकी फीस से लिंक नहीं किया जाएगा। रोज़गार पाने के बाद विद्यार्थियों को इस ऋण को दो वर्ष में किश्तों के रूप में भुगतान के लिए कहा जाएगा। इस ऋण के भुगतान की ज़िम्मेदारी न तो लाभार्थी विद्यार्थी के माता/पिता और न ही उसके आवेदन की अनुशंसा करने वाले संकाय सदस्यों की होगी।