वाराणसी। उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग के सदस्य प्रो. आरएन त्रिपाठी ने कहा है कि दुनिया में शांति, प्रेम, दया, करुणा और अहिंसा की स्थापना योग के जरिए ही की जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज पुरी दुनिया में उथल-पुथल की स्थिति है। कोरोना जैसे संकट से पूरी दुनिया के देश जूझ रहे हैं।
राष्ट्रीय सेवा योजना की बीएचयू इकाई और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की ओर से ‘स्वस्थ जीवन के लिए योग’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी के समापन समारोह में उन्होंने कहा कि हजारों वर्ष पहले जब दुनिया भर के देश संस्कृति और सांस्कृतिक उत्थानों से कदापि अपरिचित थे, तब भारत में ऋषि और मुनियों ने योग सूत्रों का प्रतिपादन किया और मानव को स्वस्थ जीवन जीने का एक अचूक सूत्र दिया। अगर दुनियाभर के देश योग को आत्मसात करें तो हम सहज ही शांति का माहौल कायम करने में सफल होंगे।
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए अरुणोदय विश्वविद्यालय अरुणाचल प्रदेश के कुलपति प्रो. विश्वनाथ शर्मा ने योग को जीवन का आधार स्तंभ बताया। उन्होंने कहा योग के जितने ग्रंथ भारत में उपलब्ध हैं, उनका विधिवत अध्ययन आवश्यक है। उन्होंने देशभर के विश्वविद्यालयों में योग और गीता के अध्ययन पर बल दिया और कहा योगीराज श्री कृष्ण ने गीता के माध्यम से कर्म योग, ज्ञान योग, भक्ति योग, सांख्य योग आदि का संदेश दिया है, जिसे बाद में स्वामी विवेकानंद जैसे युग पुरुषों ने अपने जीवन में आत्मसात् कर मानव जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में योग और गीता को एक अभिन्न अंग माना है।
द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो. लावण्या कीर्ति सिंह काव्या ने की। इस सत्र में शोध पत्र प्रस्तुत करने वालों में प्रो. पंकज माला शर्मा, डॉ. प्रिया पांडे, डॉ. अनिता शाह, डॉ. हर्षवर्धन, डॉ. सुमन मिश्रा, डॉ. बिलंबिता बानीसुधा, डॉ.रंजना त्रिपाठी, डॉ. गीतांजलि अरोरा आदि के नाम प्रमुख है। तृतीय सत्र में विजय सिंह भारती, दिनकर सिंह, कनिका कपूर, भाग्यश्री, प्रतिमा यादव, सुनील भारती, स्वाति यादव आदि ने शोध पत्रों की प्रस्तुति की। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो. पंकज बोरा ने की ।
अतिथियों का स्वागत और कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम समन्वयक डॉ. बाला लखेंद्र ने किया। धन्यवाद ज्ञापन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. राघवेंद्र मिश्र ने किया। इस दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन कल काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. विजय कुमार शुक्ला ने किया था।