वाराणसी। बीएचयू के रंगशाला थिएटर ग्रुप द्वारा हिंदी दिवस के अवसर पर प्रस्तुति परक नाट्य कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि हिंदी के वरिष्ठ कथाकार और नाटककार ऋषिकेश सुलभ ने कहा कि नाटक को सभी कलाओं का समुच्चय है। इसमें बहुत शुद्धतावादी दृष्टिकोण की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि नाटक आपके पठन-पाठन में बाधा नहीं, बनता बल्कि आपको जीवन के समर के लिए तैयार करता है। यह आपके सर्वांगीण विकास में सहायक होता है। नाटक करते हुए आपको ऊंच नीच का खयाल किये बिना सब कुछ सीखना व करना पड़ता है। आप सिर्फ अभिनय या निर्देशन ही नहीं सीखते, बल्कि आप सेट बनाने के लिए बढ़ई, पेंटर और लोहार भी बनते हैं। आप लोग बहुत खुशकिस्मत हैं कि आप लोगों को जीवन के पूर्वार्द्ध में नाटक जैसी विधा के साथ जुड़ने का अवसर मिल रहा है।
रंगशाला समूह के संयोजक एवं पत्रकारिता विभाग, बीएचयू के शोधार्थी हर्षित श्याम ने कहा कि आप जब कुछ बेहतर, कुछ रचनात्मक करने के लिए आगे बढ़ते हैं तो आपके सामने कई बाधाएं आती हैं। किन्तु उन बाधाओं से घबराने की बजाय हमें उसे पार करते हुए निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर होते रहना है। इस अवसर पर समूह के निर्देशक रवि कुमार राय ने बताया कि रंगशाला थिएटर ग्रुप 2015 से काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सक्रिय रूप से नाट्य गतिविधियों को संचालित कर रहा है। उन्होंने कार्यशाला की रूपरेखा स्पष्ट करते हुए बताया कि कोविड के बाद विश्वविद्यालय में आयोजित इस पहली नाट्य कार्यशाला में विभिन्न संकायों एवं विभागों के पचास से ज्यादा प्रतिभागी शामिल हो रहे हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि हृषिकेश सुलभ को समूह के वरिष्ठ रंगकर्मी सूरज प्रताप सिंह ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन रवि एवं धन्यवाद ज्ञापन ओम प्रकाश ने किया। इस अवसर पर अंशु प्रिया, राहुल आनंद, रूपेश रंजन आदि शामिल हुए।