वाराणसी। बीएचयू में प्रशासनिक क्षमता वाले प्रभावशाली लोगों की कमी नहीं है। जरूरत है इनका बेहतर इस्तेमाल करने की। इसे सामूहिक तौर पर इस्तेमाल करना होगा।
विश्वविद्यालय में प्रशासनिक व्यवस्था को प्रतिक्रियाशील और कुशल बनाने के लिए कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन की ओर से गठित की गई समिति के अध्यक्ष भारत सरकार में पूर्व सचिव पवन अग्रवाल ने शुक्रवार को स्वतंत्रता भवन के सीनेट हॉल में आयोजित चर्चा के दौरान कही। “विश्वविद्यालय प्रशासन में व्यवस्था, संस्कृति तथा मूल्य” विषय पर आयोजित चर्चा में उन्होंने कहा कि संस्थान के प्रति निष्ठा सबसे महत्वपूर्ण है और इसमें कोताही को किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालय के विभिन्न अंगों, फिर चाहे वे शिक्षक हों, कर्मचारी हों अथवा विद्यार्थी हों, के मध्य बेहतर संवाद व पारस्परिक विश्वास होना चाहिए, ताकि सभी मिलकर विश्वविद्यालय की प्रगति के लिए कार्य करें। ।
सत्र के मुख्य वक्ता प्रख्यात शैक्षणिक प्रशासक, आईआईटी-बीएचयू के पूर्व निदेशक तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राजीव संगल ने विश्वविद्यालय के कामकाज को प्रभावी एवं कुशल बनाने पर अपने विचार साझा किये। उन्होंने कहा कि कुशल प्रशासन के तीन स्तर हैं, व्यवस्था व प्रक्रियाएं, कार्यसंस्कृति तथा मूल्य। प्रो. संगल ने कहा कि बेहतर प्रशासन के लिए इन तीनों स्तरों पर काम करने की आवश्यकता है, क्योंकि तभी एक ऐसा प्रशासनिक ढांचा स्थापित हो सकता है जो संस्थान को दीर्घकाल तक उत्कृष्टता के मार्ग पर अग्रसर कर सकता है।
सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलगुरु प्रो. वीके शुक्ल ने कहा कि समय बदलने के साथ साथ संस्थानों को भी सकारात्मक परिवर्तनों को अपनाना चाहिए। कुलपति प्रो. जैन की दूरदर्शिता के परिणामस्वरूप विश्वविद्यालय प्रशासनिक सुधार के लक्ष्य को हासिल करने की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि ऐसे प्रगतिशील व सुधारात्मक कार्यों की बदौलत विश्वविद्यालय प्रसिद्धि व प्रगति के नए प्रतिमान स्थापित करेगा। प्रो. मुकुल राज मेहता ने विश्वविद्यालय के विकास के बारे में कुलपति के दृष्टिकोण व विचार को सदन पटल पर रखा व उन पक्षों की चर्चा की जहां विशेष ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है।
प्रशासनिक सुधार समिति ने महिला महाविद्यालय का भी दौरा किया तथा वहां छात्राओं व शिक्षकों से संवाद किया। समिति के सदस्यों ने छात्राओं से अध्ययन व उनके लिए उपलब्ध सुविधाओं के इस्तेमाल के दौरान पेश आने वाली दिक्कतों के बारे में पूछा तथा उनसे सुझाव भी मांगे। समिति विभिन्न विभागों व कार्यालयों का दौरा कर रही है तथा विभिन्न पक्षधारकों से चर्चा कर एक बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित करने के लिए काम कर रही है।
चर्चा में संस्थानों के निदेशक, संकायप्रमुख तथा विश्वविद्यालय के प्रमुख अधिकारी मौजूद रहे। मौजूदा चुनौतियों के समाधान के बारे में समिति ने सुझाव मांगे। पूर्व उप नियंत्रक व महालेखापरीक्षक, भारत सरकार, पराग प्रकाश तथा शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, में पूर्व संयुक्त सचिव, आरडी सहाय समिति के सदस्य हैं। संयुक्त कुलसचिव डॉ. सुनीता चन्द्रा, जो समिति की सचिव हैं, ने सत्र का संचालन किया।