वाराणसी। बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आयुर्वेद संकाय में गुरुवार को माहौल थोड़ा भावुक हो गया। मौका प्रसूतितंत्र विभाग की प्रथम अध्यक्ष रहीं स्व. प्रेमवती तिवारी को याद करने का था।
स्व. तिवारी की छोटी बहन डॉ.आशा कुमारी ने बताया कि उनकी बहन ने किस कठिनाई में बचपन गुजारा था। मां का निधन और मानसिक रोग से पीड़ित पिता की चिकित्सा के साथ ही अपने करियर पर ध्यान देना था। स्कॉलरशिप के पैसों से पिता का इलाज कराती थीं। डॉ. आशा ने अपनी बहन के लिए ये भावुक पंक्तियां कहीं- “जियो तो ऐसे जियो जो जले दिया बाती, जले तो प्रकाश करें और बुझे तो सुवास करें।“
इस मौके पर विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. वीके शुक्ला ने कोविड काल में आयुर्वेद की भूमिका को सराहा। प्रो. तिवारी के अद्वितीय योगदान को याद करते हुए संकाय पर एक किताब लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि इससे छात्रों को प्रोत्साहन मिलेगा और जनसामान्य को आयुर्वेद के प्रति विश्वास दिलाने में आसानी होगी।
पद्मश्री और गेस्ट ऑफ ऑनर प्रो. चूड़ामणि गोपाल ने “गर्भ में पल रहे बच्चे पर आयुर्वेद की महती भूमिका का उल्लेख” किया। उदाहरण स्वरूप उन्होंने अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु का उल्लेख किया।
मुख्य अतिथि सर्वपल्ली राधाकृष्णन जोधपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार ने मैडम तिवारी को ‘लाईफ लांग लर्नर’ के रूप में याद करते हुए बताया कि वह बनारस की पहली महिला शिक्षक थीं, जिन्होंने आयुर्वेद को विश्व स्तरीय पहचान दिलाने हेतु प्रयास किया। डॉ. राशि शर्मा ने पुस्तक का विमोचन किया।
आयुर्वेद संकाय के डीन प्रो. केएन द्विवेदी ने संगोष्ठी के मूल विषय प्रीनेटल, पोस्ट नेटल और पेरी नेटल केयर को सोलह संस्कारों से जोड़ने के बात कही। अतिथियों का स्वागत प्रो. बीएम सिंह ने किया। डॉ. पीएस उपाध्याय ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। डॉ. सुनीता सुमन ने स्व. तिवारी की जीवनी पर चर्चा की।
कार्यक्रम में वैद्य सुशील कुमार दुबे, प्रो. संगीता गहलोत, डॉ. एनएस त्रिपाठी, डॉ. राशि शर्मा प्रो किशोर पटवर्धन, डॉ. अपर्णा सिंह, डॉ प्रेम शंकर उपाध्याय, डॉ. अनामिका, अमित कुमार यादव, सुधा यादव, शुचि मिश्रा, समीक्षा राय, डॉ. विशाल गुप्ता, राकेश कुमार प्रजापति, पंकज पाल, गरिमा पटेल, नेहा सिंह, स्वीटी ठाकुर, अनुभा उपाध्याय, बिनीता कुमारी मौजूद रहीं।
डॉ शिवमंगल प्रसाद, प्रो. राहुल गुजराती, डॉ. कामिनी धीमान, डॉ. शशिबेदार शर्मा और प्रो. सुषमा तिवारी ने भी विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी में ई पोस्टर प्रतियोगिता में डॉ. सृष्टि पांडे, ई डॉक्यूमेंट्री कॉन्पिटिशन में डॉ. पंकज शर्मा और ई-क्विज कंपटीशन में डॉ. वीजिला को प्रथम स्थान मिला। इसका आयोजन क्रिया शारीर विभाग के प्रमुख और आयुर्वेद नेटवर्क के कोऑर्डिनेटर प्रो. किशोर पटवर्धन की देखरेख में हुआ। संचालन डॉ. वंदना वर्मा और डॉ. प्रीति चौहान ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. दीपा मिश्रा ने किया ।