वाराणसी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. प्रणय कृष्ण ने कहा कि पर्यावरण संकट एक वैश्विक समस्या है पर विकासशील देशों के हाशिये के समाज को इसका सबसे बड़ा दंश झेलना पड़ रहा है I साहित्य को ऐसे समय सशक्त प्रतिरोध का सृजन करने में सक्रिय रहना चाहिए I
बीएचयू के अन्तर-सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र एवं मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र की ओर से सोमवार को एक विशिष्ट व्याख्यान में बतौर मुख्य वक्ता प्रो. प्रणय कृष्ण थे I प्रो.कृष्ण ने ‘साहित्य और पर्यावरण’ विषय पर कहा कि जनचेतना का निर्माण भी साहित्य का दायित्व है I 1932 में रचित ‘साकेत’ काव्य में पर्यावरण के संरक्षण का स्पष्ट चित्र मिलता है I प्रसाद जी की कामायनी में मनुष्य और प्रकृति के बीच के संबंध का प्रत्याख्यान मिलता है I समकालीन काव्य में भी प्रकृति का अद्भुत चित्रण मिलता है जैसा कि हम हरिश्चन्द्र पाण्डेय, वीरेंद्र डांगवाल, राजेश जोशी आदि की कविता में पाते हैं I
उन्होंने कहा कि आदिवासी चेतना के काव्य में, और नब्बे के दशक के बाद की कहानियों में भी हम प्रकृति चित्रण पाते हैं I समकालीन हिन्दी साहित्य में पर्यावरण की चेतना मुखर होकर दिखाई पड़ रही है I भारत जैसे विकासशील देशों में, अमेरिका जैसे विकसित देशों की अपेक्षा कई गुना कम ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन हो रहा है I
स्वागत करते हुए अन्तर-सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र के समन्वयक प्रो. राजकुमार ने कहा कि यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हिन्दी साहित्य के मर्मज्ञ प्रो. प्रणय कृष्ण हमारे बीच हिन्दी साहित्य और पर्यावरण के अंतर्संबंध के बारे में चर्चा के लिए हमारे बीच हैं I उन्होंने कई क्षेत्रों में कार्य किया और अज्ञेय के साहित्य पर आपका कार्य विशिष्ट है I
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के समन्वयक प्रो. संजय कुमार ने कहा कि प्रो. प्रणय कृष्ण का आज का व्याख्यान अत्यंत सारगर्भित रहा। मनुष्य का मनुष्य से, मनुष्य का अन्य प्राणियों से तथा मनुष्य का प्रकृति से संबंध, ये तीनों संदर्भ हमें साहित्य में मिलता है, जिसका संकेत हमें आज के व्याख्यान में किया गया।
कार्यक्रम संचालन डॉ. राजीव कुमार वर्मा ने किया I प्रो. चंद्रकला त्रिपाठी, प्रो.अवधेश प्रधान, प्रो. वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी, प्रो. अर्चना कुमार, डॉ. नीरज खरे, प्रो. बलराज पाण्डेय, प्रो. प्रभाकर सिंह, डॉ. उषा त्रिपाठी, डॉ. विन्ध्याचल यादव, डॉ. धर्मजंग, डॉ. प्रभात मिश्र, डॉ. विवेक सिंह, डॉ. शुभांगी एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी एवं उपस्थित थे I