वाराणसी। दो बार माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पद्मश्री डॉ. संतोष यादव का कहना है कि अगली पीढ़ी को स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। प्रकृति की रक्षा के लिए प्राकृतिक संसाधनों का समुचित प्रयोग करें और अपने आसपास अधिक से अधिक पौधा लगाएं तथा पानी के दुरुपयोग को रोकते हुए वर्षा जल के संचयन के लिए कार्य करें ।

विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर बीएचयू में राष्ट्रीय सेवा योजना और विभिन्न इकाइयों की ओर से पौधरोपण व अन्य कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए डॉ. यादव ने युवाओं का आह्वान किया कि वह प्राथमिकता के आधार पर प्रकृति के संरक्षण हेतु वृक्षारोपण, जल संरक्षण, वन संरक्षण, प्रकृति में पाए जाने वाले विविध पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण हेतु कार्य में एकजुट होकर एक दूसरे का हाथ बटाएं, जिससे हम अपनी पृथ्वी को सुरक्षित रख सकें। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग मानव जाति ने ही उत्पन्न की है, जिसके लिए हमारी जीवन शैली, भौतिकवादी जिंदगी और लापरवाह व्यवहार मूल कारण है।
मुख्य समारोह कला संकाय परिसर में आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के अध्यक्ष प्रो. ध्रुव कुमार, कार्यक्रम समन्वयक डॉ. बाला लखेंद्र, कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सुतापा दास, डॉ. कृष्णानंद सिंह ने पौधारोपण किया। भारतीय स्वतंत्रता के गौरवशाली 75 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम की स्मृति में राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा 75 पौधों का लगाए गए और लगे हुए पौधों में स्वयंसेवकों ने जल डाला।
इस अवसर पर ‘प्रकृति के साथ सद्भाव में सुरक्षित मानव जीवन’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. विक्रम सिंह ने युवा और नेचुरोपैथी के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला और कहा कि प्रकृति की रक्षा हेतु हमें नेचुरोपैथी की ओर लौटना पड़ेगा। विशिष्ट अतिथि अंतर्राष्ट्रीय नाद योग आचार्य डॉ. नवदीप जोशी रहे। इस अवसर पर योगाचार्य रितेश दुबे, प्रो. प्रणव कुमार, डॉ. एनके विश्वकर्मा, डॉ. शाहनवाज आलम, डॉ. श्रीनिवासन के अय्यर, डॉ. रंजीत कुमार सिंह, डॉ. श्रवण कुमार, डॉ. विजय लक्ष्मी गुप्ता, डॉ. सच्चिदानंद मिश्रा, डॉ. अंजना त्रिपाठी, डॉ. रविंद्र प्रताप सिंह ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। अतिथियों का स्वागत कार्यक्रम समन्वयक डॉ. बाला लखेंद्र ने किया। संचालन योगाचार्य श्री रितेश दुबे ने किया।