वाराणसी। बीएचयू के वाणिज्य संकाय में अन्तर्राष्ट्रीय-पुरा छात्र सम्मेलन एवं नई शिक्षा नीति पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ शनिवार को गणेश वंदना एवं कुलगीत के साथ किया गया। वाणिज्य संकाय के प्रमुख प्रो. गुलाब चन्द्र राम जायसवाल ने देश व विश्व से आये अतिथियों का स्वागत किया।
अतिथियों में दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, गोरखपुर के वाइसचांसलर प्रो. राजेश सिंह ने ध्यान दिलाया कि हमें ऐसे पहलुओं पर गहनता पूर्वक विचार करना है, जिससे हम परिस्थितिवश उत्पन्न समस्याओं का निराकरण दृढ़तापूर्वक कर सकें। त्रिपुरा विश्वविद्यालय के वाइसचांसलर गंगा पी. परसाई ने पूर्व छात्र की भूमिका पर विचार व्यक्त किये।
राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्सव न्यास, नई दिल्ली, के अतुल भाई कोठारी ने शोध के संदर्भ में सुझाव दिया कि शोध विषय का चयन, सैद्धान्तिक व व्यवहारिक ज्ञान का समन्वय तथा अपनी भाषा में शोध की अनुमति शोधार्थी को प्रदान की जानी चाहिये, जिससे नवाचार की ओर उन्मुख किया जा सके।
उत्तर प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री व सम्मेलन के मुख्य अतिथि रवीन्द्र जायसवाल ने छात्रों के सर्वांगीण विकास पर विशेष जोर दिया। अनिल खेतान ने सॉफ्ट स्किल के साथ-साथ आध्यात्मिक शिक्षा के विकास पर बल दिया। सनदी लेखाकार शगुन कुमार ने उत्सुकता व स्वयं जागरूकता के पहलुओं के विकास पर ध्यान आर्कषित किया। निगमिय ;ब्वतचवतंजमद्ध जगत के द्वारिका नाथ पद्यनाम द्वारा फैकल्टी और इण्डस्ट्री एकीकरण पर प्रकाश डाला।
राजीव गुप्ता ने देश के चारित्रिक विकास पर ध्यान देने की बात कही। गुरुघासी दास विश्वविद्यालय के वाइसचांसलर आलोक चक्रवाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। उन्होंने चारित्रिक एवं व्यवहारिक ज्ञान पर बल देते हुये मालवीय जी के नेतृत्व एवं शिक्षा के प्रति योगदान की ओर मार्ग प्रशस्त किया। वाणिज्य संकाय के भूतपूर्व संकाय प्रमुख प्रो. आशा राम त्रिपाठी ने मंचासीन अतिथियों एवं देश-विदेश से आये पुरा-छात्र का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए मालवीय जी के विचारों तथा नई शिक्षा नीति के महत्व एवं उसकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला।