वाराणसी। बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने शनिवार को संगीत एवं मंच कला संकाय के सदस्यों से संवाद किया तथा विश्वविद्यालय के विकास के लिए उनके विचार व सुझाव जाने। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय का संगीत एवं मंच कला संकाय अपनी विधाओं में श्रेष्ठता के लिए देश ही नहीं विदेशों में भी ख्याति प्राप्त है और संकाय सदस्यों को अपनी विशिष्टता व प्रतिभा को नए आयाम पर पंहुचाने के लिए प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि कला के क्षेत्र में शिक्षण व शोध कर रहे संकाय सदस्यों के लिए बेहतर शिक्षाविद् होने के साथ साथ बेहतर परफॉर्मर होना भी अति आवश्यक है, क्योंकि तभी वे अपनी कला के साथ साथ विद्यार्थियों के साथ भी न्याय कर सकते हैं।
प्रो. जैन ने कहा कि अध्यापन एक ऐसा क्षेत्र है जहां सबसे अधिक महत्वपूर्ण विद्यार्थी हित होता है और इसके आगे पद कोई मायने नहीं रखता। विद्यार्थी शिक्षक को उसके शिक्षण कौशल से पहचानते व याद रखते हैं न कि उसके पद से, इसलिए शिक्षकों को चाहिए कि वे किसी भी अन्य विषय से स्वयं को प्रभावित किये बिना उत्तम व गुणवत्तापरक शिक्षण पर ज़ोर दें, पद, प्रतिष्ठा आदि स्वयं ही उनके पास आ जाएगी। कुलपति जी ने नियमित कार्य व कर्तव्य निर्वहन में शिक्षकों को आने वाली चुनौतियों के बारे में पूछा तथा विश्वविद्यालय की उन्नति के लिए उनके विचार जाने।
कुलपति ने कहा कि वे कक्षाओं की संख्या व आकार, स्थान व स्टाफ की समस्या जैसी संकाय की चुनौतियों से अवगत हैं और उनके निराकरण के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने संकाय सदस्यों का आह्वान किया कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनकी व उनके विद्यार्थियों की कला, प्रतिभा व कद का कोई सानी न हो और जिन विधाओं के लिए संकाय प्रसिद्ध है, उनकी चर्चा होते ही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का नाम स्वतः ही लोगों के ज़हन में आए। उन्होंने कहा कि संकाय के सदस्य संगीत एवं मंच कला की अंतरराष्ट्रीय संस्थानों का अध्ययन करें और ये सुझाव दें कि अपने संकाय को कैसे विश्व स्तर का बनाया जाए।
कुलपति ने संकाय सदस्यों से कुछ ऐसी नई शुरुआतें करने का भी आह्वान किया जिनसे विश्वविद्यालय के सभी सदस्य उनसे सीधे सीधे जुड़ाव महसूस करें।
संवाद के दौरान संकाय सदस्यों ने देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों व संस्थानों के साथ साथ विदेशी संस्थानों के साथ भी संकाय के विद्यार्थियों व शिक्षकों के लिए एक्सचेंज कार्यक्रमों को बढ़ाने के लिए सुझाव दिये। इस अवसर पर संकाय में नई विधाओं के संबंध में विचारों विमर्श हुआ।