वाराणसी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय संस्कृति विविध विचारधाराओं का समन्वय करती है।
बीएचयू के महामना मालवीय अनुशीलन केंद्र में सोमवार को आयोजित महामना व्याख्यान शृंखला में उन्होंने कहा कि यहां नैतिकता को जीवन में सर्वोंच्च स्थान दिया गया है। वेदों में जिस प्रकार कहा गया है कि हम सभी एक साथ चले आगे बढ़े, उसके मूल में उसी सनातन नैतिक चेतना का स्थान रहा है। हमारे यहां धर्म के द्वारा निर्धारित न्यायोचित मार्ग से अर्थाजन के लिए प्रेरित किया गया है। हमारे चिन्तन में अन्य सभी प्राणियों के लिए संवेदनशीलता का भाव रखने को कहा गया है। यही संवेदनशीलता हमें नैतिक मार्ग पर चलने के लिए संबल प्रदान करती है। उदारवादी चिन्तन के साथ विश्वबन्धुत्व का भाव भारतीय संस्कृति की विशेषता है। हमारे सनातन संस्कृति शान्ति का प्रसार करने वाली है। हमारी संस्कृति में धर्म के जो दस लक्षण बताए गए है वो मनुष्य की उच्च नैतिकता को पोषित करने वाले बताए गए हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने कहा कि ‘‘शिक्षा के तीन आयाम है- ज्ञान, कौशल और मूल्य। परीक्षा के माध्यम से हमारे ज्ञान का मूल्यांकन होता है। कौशल हमारे जीवन व्यवहार के लिए उपयोगी है। मूल्य हमारे जीवन का वास्तविक निर्माण करते है, ये हमारे जीवन का आधार है। मानवीय मूल्यों का मात्र अध्ययन ही नही अपितु जीवन में उनको आत्मसात करना भी आवश्यक है। इग्नू अपने विस्तृत नेटवर्क के माध्यम से ज्ञान की विभिन्न शाखाओं और मूल्यों का प्रचार-प्रसार भारत में ही नही अपितु विदेशों में भी करने का प्रयास कर रहा है। ’स्वयंप्रभा’ चैनल के माध्यम से विभिन्न विषयों पर विशिष्ट व्याख्यान इग्नू निःशुल्क सबको उपलब्ध करा रहा है। हमें ज्ञान, कौशल और मूल्य तीनों को समेकित करके अपने शिक्षा के प्रकल्प में प्रयोग में लाना है। हमारे दैनिक और व्यावसायिक जीवन में मूल्यों का अंगीकार होना चाहिए।’’
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र के समन्वयक प्रो. आशाराम त्रिपाठी ने कहा कि- काशी से ज्ञान की नई्र धारा, नये चिन्तन का उल्लेख होता है। इसलिए मूल्य चिन्तन की नई धारा का आगाज भी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ही होता है। महामना मालवीय जी ने विश्वविद्यालय के चौथे उद्देश्य में विद्यार्थियों के लिए इसी नैतिकता की बात की है। सत्य, सदाचरण, शान्ति, अहिंसा, प्रेम जैसे पांच मूल्य हमारे जीवन के मार्गदर्शक तत्व है। हमारी संस्कृति में विश्व के कण-कण में जीव को स्वीकार करते हुए सभी के सम्मान की बात की है।
कार्यक्रम में सम्मिलित अतिथियों एवं श्रोताओं का स्वागत डॉ. रामकुमार डांगी तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. उषा त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम संचालन डॉ. संजीव सर्राफ ने किया। कार्यक्रम में डॉ. धर्मजंग, डॉ. राजीव कुमार वर्मा, डॉ. रमेश लाल, डॉ. अभिषेक त्रिपाठी, डॉ. रत्नशंकर मिश्र, प्रो. प्रेमशंकर त्रिपाठी, प्रो. अखिल मिश्रा, प्रो. आरएस मीणा, डॉ. उपेन्द्र नाभ त्रिपाठी, बनमाली सिंह, संजय कुमार, पीके सिंह, अरविन्द कुमार पाल, छोटे लाल उपस्थित थे।