वाराणसी। भारत राष्ट्र केवल एक भूभाग नहीं बल्कि जीता जागता एक सांस्कृतिक चेतना युक्त संकल्पित एवं सांस्कृतिक धरोहर है। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत राष्ट्रीय सेवा योजना की बीएचयू इकाई की ओर से शनिवार को मुख्य वक्ता कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद केंद्र की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद्मश्री डॉ. निवेदिता भिड़े ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक उपलब्धियां हासिल कर दुनिया भर के विकासशील देशों में आज अग्रिम पंक्ति में खड़ा है। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान जिस तरह से राष्ट्रीय गौरव और राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रति सकारात्मक भाव युवाओं में दिख रहे हैं, यह हमारे प्राचीनतम सांस्कृतिक विरासत की पहचान है। भारत हजारों वर्षों की सांस्कृतिक विरासत को समेटे एक महान राष्ट्र है, जो कुछ सौ वर्षों की परतंत्रता के कारण एक ठहराव के लिए विवश रहा, लेकिन आज अपनी सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रीय गौरव के बल पर एक बार पुनः अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बना रहा है। यह समय की मांग है कि भारत का हर युवा खुद की पहचान करें वह यह जानने का प्रयास करें कि हमारे राष्ट्रीय गौरव का उन्नत शिखर कितना गौरवान्वित रहा है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद जैसे युवा ने भारत राष्ट्र को दुनिया के मानचित्र पर उस समय गौरवान्वित किया जब भारत को लोग एक गरीब देश के रूप में प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने भारतीय चेतना के जागरण हेतु राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रमों के आयोजन की बात की।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. विजय कुमार शुक्ला ने कहा कि भारत के राष्ट्रीय आदर्श रहे हैं त्याग और सेवा। हमारे यहां जहां त्याग को लेकर दधीचि ऋषि जैसे महानत्यागी का वर्णन मिलता है। वही मानव सेवा के क्षेत्र में रामकृष्ण मिशन की स्थापना करने वाले स्वामी विवेकानंद का विराट व्यक्तित्व सामने होता है। हमें अपने राष्ट्रीय दर्शन के आदर्शों से सीख ले कर त्याग और सेवा पर के पथ पर चलने की आवश्यकता है।
अतिथियों का स्वागत विश्वविद्यालय के मुख्य आरक्षाधिकारी प्रो. अभिमन्यु सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. धीरेंद्र कुमार राय तथा संचालन कार्यक्रम समन्वयक डॉ. बाला लखेंद्र ने किया।
इस अवसर पर विवेकानंद केंद्र के जीवनव्रति शिवपूजन, प्रो. डीपी वर्मा, डॉ. ज्ञानेश चंद्र पाण्डेय, डॉ. अन्नपूर्णा दिक्षित, डॉ. लाल बाबू जयसवाल, डॉ. उषा रान, हर्षित श्याम जायसवाल, यशस्वी मिश्रा, नवनीत कुमार सिंह ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ महामना भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय जी और स्वामी विवेकानंद के की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। तत्पश्चात संगीत एवं मंच कला संकाय की स्वयंसेविकाओं ने कुलगीत की प्रस्तुति की।