वाराणसी। यह महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की दूरदर्शिता थी, आज से एक शताब्दी से भी अधिक समय पूर्व उन्होंने ऐसे संस्थान की परिकल्पना की जहां, विविध विषयों की शिक्षा उपलब्ध हो। आज नए संस्थानों की शुरुआत में महामना की उस सोच की झलक दिखती है, क्योंकि नए संस्थानों की में अनेक विषयों की शिक्षा एक स्थान पर मिलने के विचार के साथ काम किया जा रहा है।
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, कार्मिक एवं लोक शिकायत राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के वार्षिक दिवस समारोह में रविवार को बतौर मुख्य अतिथि ये बातें कहीं। उन्होनें कहा कि जिस प्रकार की शिक्षा व चिकित्सा सुविधाएं चिकित्सा विज्ञान संस्थान में हैं, पूरे देश में उसी तरह की व्यवस्था की आवश्यकता महसूस की जा रही है। ताकि एक ही स्थान पर आधुनिक चिकित्सा व आयुर्वेद व प्राचीन चिकित्सा प्रणाली का लाभ लोगों को मिल सके।
उन्होंने कहा कि आज अपने भविष्य को लेकर विद्यार्थी काफी सचेत व जागरूक हो गए हैं और वे जानते हैं कि उन्हें शिक्षा के लिए कहां जाना है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी से पहले नॉन कम्युनिकेबल बीमारियों के प्रबंधन पर ही ज्यादा ध्यान दिया जाता था, लेकिन महामारी के दौरान यह सोच बदली है। अब कम्युनिकेबल बीमारियों पर भी बहुत काम हो रहा है। साथ ही साथ डाक्टरों ने भी प्राचीन और आधुनिक पद्धति का प्रयोग करते हुए इस संबंध में चुनौतियों को स्वीकार करते हुए कार्य किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन चिकित्सा व्यवस्था आज अभूतपूर्व सुधार व विकास देखने को मिल रहा है।
जीएनएस विश्वविद्यालय, सासाराम, बिहार, के कुलपति प्रो. एम के सिंह ने बताया कि समाज में बीएचयू का मुख्य चेहरा चिकित्सा विज्ञान संस्थान है और इसने अपनी गरिमा बनाए रखी है। डेन्टल काउन्सिल आफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. डी. मजूमदार ने कहा कि बीडीएस का कोर्स अब 9 सेमेस्टर का हो जायेगा तथा अंतिम वर्ष की परीक्षा पूरे देश में एक समान होगी। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसके जोशी ने कहा कि हमें चिकित्सा में कुशल इन्टीग्रेशन की आवश्यकता है।
अध्यक्षता करते हुए बीएचयू के कुलगुरू प्रोफेसर वीके शुक्ल ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान संस्थान में पिछले दस वर्षों में गुणवत्तापरक शोध पर संस्थान का काफी ज़ोर रहा है और इसके शानदार नतीजे भी देखने को मिले हैं। कोविड19 महामारी के दौरान संस्थान ने जिस प्रकार का उल्लेखनीय कार्य किया है वह शोध व अनुसंधान में संस्थान की प्रगति व उपलब्धियों को परिलक्षित करता है।
चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एसके सिंह ने स्वागत करते हुए कहा कि भारतवर्ष में यह मात्र ऐसा संस्थान है, जहां एक ही प्रांगण में आधुनिक चिकित्सा संकाय, आयुर्वेद संकाय, दन्त चिकित्सा संकाय एवं नर्सिंग कॉलेज संचालित हो रहा है। संस्थान की उपलब्धियों व वार्षिक प्रगति रिपोर्ट साझा करते हुए प्रो. सिंह ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान संस्थान अपने उत्कृष्ट शिक्षण, अनुसंधान व चिकित्सा सुविधाओं के लिए ख्याति व प्रतिष्ठा के नित नए पायदान चढ़ रहा है। एनआईआऱएफ रैंकिंग तथा अन्य रैंकिंग में संस्थान का साल दर साल बेहतर इस बात की पुष्टि करता है। उन्होंने कोविड 19 महामारी के दौरान संस्थान तथा यहां के चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों व अन्य स्टाफ के उल्लेखनीय योगदान की सराहना करते हुए, मरीजों को दी गई सुविधाओ का आंकड़ा भी प्रस्तुत किया।
वार्षिकोत्सव के दौरान उत्कृष्ट के लिए हेतु 42 शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर 275 छात्र एवं छात्राओं को विश्वविद्यालय में प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त करने पर पुरस्कृत भी किया गया। साथ ही साथ संस्थान से सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों, चिकित्सकों, शैक्षणिक व गैर-शैक्षणिक अधिकारियों व कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के संयोजक प्रो. संजीव कुमार गुप्ता, सह संयोजक प्रो. टीपी चतुर्वेदी, आयुर्वेद संकाय प्रमुख प्रो. केएन द्विवेदी एवं दन्त संकाय प्रमुख प्रो. विनय श्रीवास्तव, डीन रिसर्च प्रो. अशोक चौधरी एवं सर सुंदरलाल चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता ने अतिथियों का स्वागत किया। मंच संचालन प्रो. शोभा भट्ट एवं डॉ. किरन गिरी ने किया। धन्यवाद प्रो. संजीव कुमार गुप्ता ने दिया।