वाराणसी। पूरे भारत में हाशिए पर रहने वाले दिव्यांगजन के बारे में बहुत कुछ किया जाना बाकी है जिन्हें शोध के माध्यम से पूरा किया जा सकता है। विशिष्ट शिक्षा के क्षेत्र में शोध की अपार संभावनाएं हैं।
बीएचयू के कमच्छा स्थित शिक्षा संकाय में चल रहे पुनश्चर्या पा्यक्रम के समापन समारोह में शनिवार को ये बातें उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय प्रयागराज की कुलपति प्रो. सीमा सिंह ने कहीं। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं के लाभ का आकलन शोधकर्ताओं के माध्यम से किया जाना चाहिए ताकि उन्हें उचित लाभार्थियों तक पहुंचाया जा सके। इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन नियमित रूप से होने चाहिए जिससे विशेष शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों एवं समस्याओं की पहचान कर शोध के द्वारा गुणवत्ता परक समाधान किया जा सके। उन्होंने कहा कि केवल शोध से ही नहीं बल्कि इस क्षेत्र में तकनीकी के प्रयोग की आवश्यकता है।
अध्यक्षता करते हुए प्रो. एसके स्वैन ने कहा कि पांच दिवसीय कार्यक्रम में शोध संस्कृति का विकास करने का प्रयास किया गया, जिससे विशेष शिक्षक प्रशिक्षक अपने-अपने क्षेत्र में दिव्यांगता से संबंधित समस्याओं की पहचान करके उसका हल निकाल सकें। उन्होंने प्रत्येक शोधकर्ताओं से अपील की कि शोध प्रस्तावना का निर्माण करें तथा केस स्टडी के द्वारा समस्याओं का गुणवत्तापूर्ण समाधान करने का प्रयास करें। कार्यक्रम समन्वयक डॉ योगेंद्र पांडे ने पांच दिन के कार्यक्रम की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की।
समापन कार्यक्रम में डॉ.आरएन शर्मा, प्रो. सुनील कुमार सिंह, प्रो. नागेंद्र कुमार, डॉ. सुनीता सिंह, डॉ. विनोद कुमार सिंह, डॉ. अजय कुमार सिंह, डॉ. अजीत कुमार राय, प्रो. संजय सोनकर, प्रो. मीनाक्षी सिंह, डॉ. पंकज सिंह, डॉ.किशोर माने मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्रुति पांडे ने किया। धन्यवाद ज्ञापन काय॔कम संयोजक डॉ. योगेंद्र पाण्डेय ने किया ।