वाराणसी। शौच करते समय अगर खून निकल रहा है तो इसके बारे में तत्काल विशेषज्ञ से सलाह लेकर इलाज करना चाहिए। लापरवाही बरतने पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

विश्व आईबीडी दिवस (19 मई) की पूर्व संध्या पर बुधवार को बीएचयू के गैस्ट्रेएंट्रोलॉजी के डॉ. देवेश कुमार यादव ने बताया कि इस बीमारी का कारण सामान्यतः अज्ञात होता है। हालांकि कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मनुष्य के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता की असामान्य गतिविधि के कारण हो सकता है। आनुवांशिक और पर्यावरण संबंधी कारणों से भी व्यक्ति इसका शिकार हो सकता है। खान-पान की आदतों से भी यह बीमारी हो सकती है।
डॉ. यादव ने बताया कि आईबीडी में दो तरह के विकार हो सकते हैं। क्रॉन्स डिजीज और अल्सरेटिव कोलाइटिस। अगर किसी व्यक्ति को अधिक दस्त, तत्काल शौच जाने की जरूरत, पेट में ऐंठन, शौच रक्त, वजन घटना, भूख न लगना और बुखार जैसे लक्षण हैं तो उन्हें तत्काल गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट की सलाह लेनी चाहिए। अगर आईबीडी पाया जाता है तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसे नियंत्रित करने से मरीज सामान्य जीवन जी सकता है।
डॉ. यादव ने कहा कि कोविड काल में ऐसे मरीजों के लिए जोखिम अधिक हो गया है। हालांकि अबतक यह पुष्टि नहीं हुई है कि कोविड की वजह से इसका खतरा बढ़ा है। यह जरूर है कि आईबीडी मरीजों के संक्रमित होने पर इलाज के प्रबंधन पर चिंता बढ़ी है। डॉ. यादव सर सुन्दरलाल अस्पताल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी की ओपीडी में प्रत्येक गुरुवार को कक्ष संख्या 305 में बैठते हैं। ऐसे लक्षण दिखने पर उनसे संपर्क किया जा सकता है।